मनीमाजरा थाना एसएचओ व क्राइम ब्रांच प्रभारी को नोटिस, एसएसपी से हलफनामे पर मांगा जवाब
नशे के झूठे केस और 5 लाख की रिश्वत मांगने के आरोप
चंडीगढ़, 9 दिसंबर: चंडीगढ़ पुलिस रिश्वत मांगने, लूटपाट करने, शराब की तस्करी करने के काले कारनामों में समय-समय पर सुर्खियों में आ ही जाती है। जहां डिस्ट्रिक्ट क्राइम सेल पर आए दिन सवाल खड़े होते थे, वहीं अब क्राइम ब्रांच की टीम भी शक के घेरे में आ चुकी है। क्राइम ब्रांच की टीम पर पंजाब के अमृतसर के एक व्यक्ति को एनडीपीएस एक्ट के केस में झूठा फंसाने व उसे छोड़ने पर 5 लाख की रिश्वत की डिमांड करने के आरोप लगे हैं। इसी के चलते क्राइम ब्रांच द्वारा पकड़े गए व्यक्ति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन, एसएसपी चंडीगढ़ पुलिस, क्राइम ब्रांच के प्रभारी और मनीमाजरा थाना प्रभारी को नोटिस जारी किया है। मामले में प्रशासन के वकील ने नोटिस स्वीकार करते हुए जवाब दायर करने के लिए समय की मांग की। ऐसे में 21 फरवरी, 2024 को अगली सुनवाई होगी। इस बीच एसएसपी को अपना जवाब हलफनामे के रूप में दायर करने को कहा गया है।
हाईकोर्ट से इस मामले की सीबीआई या फिर किसी अन्य एजैंसी से जांच करवाने की मांग की है। मामला 15 अक्तूबर-2023 का बताया जा रहा है। मनीमाजरा थाने में एनडीपीएस एक्ट-21 व 29 के तहत केस दर्ज किया गया था। इस केस में क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार अमृतसर निवासी 48 वर्षीय रंजीत सिंह उर्फ राणा फिलहाल बुड़ैल जेल में बंद है। हाईकोर्ट में याची ने 15 अक्तूबर को मनीमाजरा थाने में दर्ज मामले की जांच सीबीआई जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी से करवाई जाने की मांग करते हुए कहा कि ताकि निष्पक्ष और पक्षपात जांच हो सके। वहीं मामले में कहा गया है कि एक एसआईटी बनाई जाए जो कानून के तहत गहनता से मामले की जांच करे। याची के मुताबिक उसे इस एनडीपीएस मामले में सह आरोपी बना दिया गया। मामले में अमृतसर निवासी 48 वर्षीय रंजीत सिंह उर्फ राणा ने यूटी प्रशासन समेत, एस.पी, क्राइम ब्रांच के प्रभारी, क्राइम ब्रांच के एसआई बलजीत सिंह, एसआई सुमेर सिंह और मनीमाजरा थाना एसएचओ को प्रतिवादी बनाया है।
कहां से शुरू हुआ था मामले, जानें पूरी बात
15 अक्तूबर के मामले में हरप्रीत सिंह नामक युवक से 53.60 ग्राम चिट्टा बरामद होने के मामले में पुलिस ने रंजीत उर्फ राणा (याची) को गिरफ्तार किया था। याची 23 अक्तूबर को अपनी पत्नी और बेटे के साथ ससुराल आया हुआ था जहां से सुबह 24 अक्तूबर को पुलिस ने उसे सामान्य पूछताछ के नाम पर हिरासत में लिया था। आरोप लगाया गया कि बिना वारंट और स्थानीय पुलिस को जानकारी दिए उसे पकड़ा गया। वहीं गांव के सरपंच आदि को भी इस दौरान पुलिस ने साथ नहीं रखा था। याची की पत्नी को अपने पति की कोई जानकारी नहीं मिली। ऐसे में उसने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दायर की। इसकी सुनवाई 27 अक्तूबर को थी। हाईकोर्ट ने मामले में वारंट अधिकारी नियुक्त करने के आदेश देते हुए कहा था कि यदि पकड़े गए व्यक्ति को गैरकानूनी ढंग से कैद में रखा गया है तो उसे रिहा किया जाए। याचिका के मुताबिक उसी दिन याची को अमृतसर घर लाया गया और पुलिस ने उसे छोड़ने के नाम पर पांच लाख रु पये की मांग की। याची की पत्नी उस दिन चंडीगढ़ हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई पर थी। फोन पर याची ने अपनी पत्नी को बताया कि उसका टार्चर किया गया और छोड़ने के नाम पर पांच लाख रु पये मांगे जा रहे हैं। मामले में कॉल रिकार्डिंग भी हाईकोर्ट में दी गई है। याची ने हाईकोर्ट से यह भी कहा है कि झूठे मामले की वजह से उनका पूरा भविष्य खराब हो गया है।
चंडीगढ़ के करप्शन सेल को भी दी गई शिकायत
याची की पत्नी ने मामले में पुलिसकर्मियों द्वारा कथित रूप से रिश्वत मांगने को लेकर चंडीगढ़ पुलिस के करप्शन सेल को भी शिकायत दी। इस बीच उसके पति को पुलिस ने 15 अक्तूबर वाले मामले में आरोपी बना दिया। वहीं याची की पत्नी को पुलिस ने कहा कि उसे हाईकोर्ट और करप्शन सेल पहुंचने का सबक सिखाया जाएगा। पुलिस के मुताबिक मामले में हरप्रीत ने पुलिस को कहा था कि वह गांव दोके के एक गुल्लू से नशा लाया था। इसके बाद याची को गिरफ्तार कर बताया गया कि उसके पाकिस्तान के नशा तस्करों के साथ लिंक हैं और ड्रोन के जरिए नशा मंगवाया जाता है। वहीं याची की पत्नी ने कहा कि 20 अक्तूबर को 106.36 ग्राम हेरोइन के अलावा पुलिस किसी मोबाइल फोन लिंक या ड्रोन की बरामदगी नहीं दिखा पाई। वहीं बरामदगी पर भी सवाल खड़े किए गए हैं
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