डग्स के मुद्दे को लेकर होटल माउंटव्यू में इंटरस्टेट मीटिंग का आयोजन
-कई राज्यों के अधिकारी आपसी तालमेल कर संयुक्त रूप से निटेंगे
चंडीगढ़, 2 मार्च: वीरवार को सैक्टर-10 स्थित माउंट व्यू होटल में ड्रग्स के मुद्दे को लेकर एक अहम मीटिंग हुई। इस मीटिंग में मीटिंग में चंडीगढ से डीजीपी प्रवीर रंजन समेत हरियाणा और उत्तराखंड से डीजीपी स्तर के अफसर पहुंचे थे। वहीं पंजाब से एडीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) आए थे। हिमाचल प्रदेश से आईजीपी रैंक के अफसर इसमें शामिल हुए।
मीटिंग में कहा गया कि सिर्फ पंजाब ही नहीं बल्कि चंडीगढ समेत बाकी नार्थ रीजन में भी ड्रग्स बडा मुद्दा है। अब एक साथ कई राज्य इससे संयुक्त रु प से निपटेंगे। इसके लिए रणनीति बनाई गई है। आज ड्रग के मुद्दे पर चंडीगढ़ में हुई नार्थ रीजन की इंटर-स्टेट मीटिंग में हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और दिल्ली के पुलिस अधिकारी शामिल हुए। चंडीगढ़ केडीजीपी प्रवीर रंजन ने कहा कि ड्रग से निपटने के लिए राज्य स्तर पर एक वर्किग ग्रुप बनाया जाएगा। इसमें विशेषज्ञ अफसरों को शामिल किया जाएगा। वहीं मीटिंग में तय हुआ कि अगली मीटिंग में जेल अफसरों को भी इस मीटिंग का हिस्सा बनाया जाएगा। चंडीगढ़ के डीजीपी प्रवीर रंजन ने बताया कि यह कॉर्डिनेशन मीटिंग थी। डीजीपी ने कहा कि पिछली बार जब देश के गृह मंत्री अमति शाह शहर में आए थे तो उस दौरान कई राज्यों ने ड्रग के मुद्दे पर एक रणनीति बनाई थी। इसमें एक-दूसरे से तालमेल बनाए रखना और सहयोग देना शामिल हैं। इसके अंतर्गत आज यह मीटिंग हुई। डीजीपी हरियाण पीके अग्रवाल ने कहा कि ड्रग ऐसा मुद्दा है, जो किसी एक राज्य तक सीमित नहीं है। इससे निपटने के लिए सभी राज्यों को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। इस मीटिंग में ड्रग की रोकथाम के लिए ग्राउंड स्तर पर काम करने का फैसला लिया गया है। वहीं कहा कि ड्रग से लड़ाई के लिए गैर ड्रग स्मगलर्स और गैंगस्टर्स की गतिविधियों पर नजर रखना, उनके खिलाफ कार्रवाई करना और ड्रग रैकेट में फाइनेंशियल ट्रांजेक्शंस पर नजर रख उस पर नकेल कसने की जरूरत है। मीटिंग में कहा गया कि अपराधियों की प्रॉपर्टी की पहचान करना, ड्रग मनी के इस्तेमाल का पता लगाना भी अहम है। डीजीपी ने कहा कि ड्रग मनी आतंकवाद, नार्को-टेरर में भी इस्तेमाल होती है। ड्रग मनी का इस्तेमाल कई प्रकार के कारोबार में लगा लिया जाता है। डीजीपी ने कहा कि इस प्रकार की विस्तृत कार्रवाई के लिए राज्य की कई एजेंसियों की भी जरूरत है। ड्रग की डिमांड को खत्म करने के लिए जागरूकता फैलाने को लेकर भी मीटिंग में बात हुई। एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में बच्चों को जागरूक करना, इंस्टीट्यूट्स की जिम्मेदारी तय करना, मेडिकल डिपार्टमेंट और सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट और जेल को भी इस जागरूकता कार्यक्र म में शामिल करने पर बात हुई। मीटिंग में एक विस्तृत रणनीति पर चर्चा की गई। ड्रग की रोकथाम को लेकर कई सार्थक प्रयास भी किए जा रहे हैं। जैसे हरियाणा ने एक एप डेवलप किया है जिससे मेडिकल ड्रग की सप्लाई की निगरानी की जा रही है। इन ड्रग्स को मेडिकल ट्रीटमेंट में इस्तेमाल किया जाना चाहिए मगर नशे के रूप में इन्हें लिया जा रहा है। इनकी सप्लाई कहां हो रही है, यह देखने की जरूरत है। इस एप को चंडीगढ समेत मीटिंग में शामिल अन्य राज्य स्टडी कर अडॉप्ट करेंगे।