चंडीगढ़

पॉल मर्चेट्स से 1.93 करोड की साइबर ठगी करने वाले पांच शातिर ठग गिरफ्तार

 

-लगभग दो करोड़ की ठगी की रकम में चार ट्रकों के लोन भरे, 2 लाख के मोबाइल रिचार्ज किए

-पांच लाख का फास्टैग रिचार्ज करवाया, एमाजॉन से गिफ्ट कार्ड व फ्लिपकार्ट से कूपन खरीदे

 

चंडीगढ़, 10 जनवरी: पॉल मर्चेट्स से 1.93 करोड की ठगी करने वाले हरियाणा के रहने वाले पांच साइबर ठगों को साइबर इंवेस्टीगेशन सेल (सीसीआईसी) की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है। पकड़े गए आरोपियों की पहचान सिरसा के पंकज कुमार (29), फतेहाबाद के विक्रम (28), हिसार के मुकेश कुमार (29), राजेंद्र प्रसाद (38) और रोहताश कुमार (27) के रूप में हुई है। आरोपियों के खिलाफ 31 दिसंबर, 2022 को धोखाधडी, जालसाजी और आपराधिक साजिश रचने की धाराओं में यह केस दर्ज हुआ था।

मंगलवार को होमगार्ड ग्राउंड में प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान एस.पी ऑपरेशन्स केतन बंसल ने बताया कि एक महिला कर्मी ने पुलिस को दी शिकायत में कहा था कि किसी ने उनके सिस्टम्स हैक कर करीब 1.93 करोड रुपए की ठगी की है। दरअसल पॉल मर्चेंट्स नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन के रूप में काम करती है। आरबीआई से जारी लाइसेंस के तहत यह जनरल पब्लिक को प्रिपेड वैलेट्स और कार्ड्स जारी करने करने का काम करती है। यह एक मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए जारी किए जाते हैं। पॉलपेवी2.0 नामक यह एप्लिकेशन एंड्रॉयड प्ले स्टोर और एपल एप स्टोर पर उपलब्ध है। वहीं कस्टमर्स कई प्रकार की पेमेंट सिर्वसेज (यूटिलिटी बिल्स पेमेंट, मोबाइल रिचार्ज, डीटीएच व फास्टैग आदि) इस मोबाइल एप के जरिए इस्तेमाल कर सकते हैं। शिकायत में संभावना जताई गई थी कि धोखाधड़ी के लिए पॉल मर्चेंट्स के सर्वस/पेमेंट गेटवे को हैक कर या कुछ प्रोक्सी सर्वर बना इन्स्टॉल किए गए होंगे। पुलिस आरोपियों का रिमांड लेकर इनसे आगे की पूछताछ कर रही है। वहीं मामले में इसके और साथियों की तलाश की जा रही है। पुलिस ने अभी तक इनके कब्जे से 8 मोबाइल फोन, 1 मोडम, वाईफाई, 4 लैपटॉप, 31 सिम कार्ड और 4 ट्रक बरामद किए हैं।

1497 फर्जी आईडी बनाई, 3114 ट्रांजैक्शंस की

साइबर क्र ाइम पुलिस ने जांच के दौरान कथित ट्रांजैक्शंस के डाटा की स्क्रूटनी की और पाया कि पॉलपे एप्लिकेशन की 1497 आईडी तैयार की गई थी। वहीं इनका प्रयोग कर 3114 ट्रांजैक्शंस की गई थी। ऐसे में 1,93,54,231 रु पए की जालसाजी की गई। पुलिस ने कहा कि आरोपी रोहताश यूट्यूब से पेमेंट एप्स के बग्स फिक्स करने और बाकी जानकारियां देखता था। उसी ने फर्जीवाड़ा करने की प्लानिंग की थी। इस मामले का वह मास्टरमांइड है।

दो करोड की ठगी की रकम कहां-कहां हुई इस्तेमाल

पॉल मर्चेंट्स के साथ जो ठगी हुई उसमें 30 लाख रु पए की ट्रकों से जुड़ी लोन रकम, विभिन्न वाहनों के फास्टैग से जुड़ी 5 लाख रु पए की रकम, 2 लाख रु पए के मोबाइल फोन रिचार्ज, 2.5 लाख रु पए के इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन खातों की पेमेंट के 30 लाख रूपए, 25 लाख रु पए के एमाजोन गिफ्ट कार्ड्स वाउचर्स, फ्लिपकार्ट के 10 लाख रु पए के कूपन, 10 लाख रुपए के गोल्ड लोन, 20 लाख रु पए के अन्य लोन तथा खातों के लिए 50 लाख रु पए शामिल थे।

पुलिस को दिल्ली के मुखर्जी नगर की मिली लोकेशन

एसपी केतन बंसल ने बताया कि साइबर सेल के इंचार्ज इंस्पैक्टर रंजीत सिंह की सुपरविजन में बनाई गई टीम ने जांच के दौरान पाया कि आईडी बनाने वाले की बनाने वाले कुछ मोबाइल नंबर्स की लोकेशन मुखर्जी नगर, दिल्ली की पाई गई। खुफिया जानकारी के आधार पर पुलिस ने 5 जनवरी को मुखर्जी नगर में रेड की। वहां से पंकज की गिरफ्तारी कर फर्जी बनाने में इस्तेमाल कुछ सिम कार्ड बरामद किए गए। उससे तुलसी चौक, फतेहाबाद में कैफे चलाने वाले विक्र म की जानकारी मिली।

हर आईडी के पीछे 1,500 रु पए का लालच

जानकारी में सामने आया कि विक्र म अपने दोस्त कमलदीप, राजेंद्र प्रसाद उर्फ राजू, मुकेश और रोहताश बेनीवाल के साथ पंकज के पास गए थे। वह पॉलपेवी2.0 की आईडी चाहते थे ताकि स्कीम का लाभ ले सके। पंकज को प्रति आईडी का 1,500 रु पए ऑफर दिया गया था। पंकज ने कई आइडी बनाई और कुछ आइडी का उसने खुद प्रयोग की। पुलिस ने इस जानकारी पर विक्र म और उसके साथियों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपियों से मोबाइल फोन बरामद किए जिनमें कथित ट्रांजैक्शंस के स्क्रीनशॉट्स थे। वहीं फर्जी आईडी बनाने में इस्तेमाल मोबाइल नंबर भी बरामद किए गए हैं।

रोहताश केस का मास्टरमाइंड

पुलिस पूछताछ में राजिंद्र उर्फ राजू ने बताया कि उसके दोस्त रोहताश कुमार ने उसे के एक बग के बारे में जानकारी दी थी। इसके जरिए पैसे निकालने की जानकारी भी सांझी की। रोहताश से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि उसे बग हंटिंग की जानकारी है। इसकी जानकारी उसने राजिंदर को दी और करीब 2 करोड रु पए का फर्जीवाडा किया।

बीएससी की पढ़ाई..अब जेल की हवा

पुलिस ने बताया कि रोहताश कुमार बीएससी कर चुका है और 8वीं क्लास से कंप्यूटर की पढ़ाई कर रहा है। उसने पॉलपेवी2.0 में बग को हंट कर एक टूल के जरिए पॉलपे वेबसाइट का डाटा निकाल लिया और उसने कैश फ्री पेमेंट गेट वे के सिग्नल को बंद कर दिया। इसके बाद सर्वर से ट्रांजैक्शन की गई। उसने अपने दोस्त राजिंदर और मुकेश को यह तरीका समझाया। इसके बाद बाकी साथियों का फर्जी बनाने में मदद ली।

 

इन पांच शातिर ठगों को साइबर क्राइम ने कड़ी मशक्कत के बाद गिरफ्तार किया है। अभी इस केस में आरोपी कमलदीप की पुलिस तलाश कर रही है। पुलिस जल्द ही उसे भी गिरफ्तार कर लेगी।

-केतन बंसल, एसपी ऑपरेशन्स।

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