हाईटैक पुलिस: ‘वी केयर फॉर यू’ नहीं ‘वी डांट केयर फॉर यू’ : -हस्ता-खेलता दो साल का मासूम अब लंबे समय के लिए बैड पर
धनास में दिल दिहलाने वाला एक और हादसा..तेज रफ्तार बाइक सवार दो साल के मासूम को रौंद कर हुआ फरार, छह दिन बाद भी एफआईआर नहीं
– पेट से लेकर टांगों तक लगा प्लास्तर, 24 घंटे बाद अस्पताल से मिली बच्चे को छुट्टी
-पिता के घर पर बेटे के साथ रहने आई थी महिला, दिन-रात दर्द के कारण रोता है बच्चा
चंडीगढ़, 25 मई: धनास में तेज रफ्तार फॉक्सवैगन की बीटल कार की टक्कर लगने से दो महिलाओं सहित तीन लोगों की मौत के बाद अब धनास में एक और दिल दहलाने वाला हादसा हो गया। धनास की हाउसिंग बोर्ड कालोनी में तेज रफ्तार बाइक सवार दो साल के मासूम को जबरदस्त टक्कर मारकर फरार हो गया और तो और पुलिस भी पीड़ित परिवार का साथ नहीं दे रही जिसके चलते हादसे के छह दिन बाद भी पुलिस ने बाइक सवार के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं की और बाइक सवार सरेआम घूम रहा है। हादसे की एक सीसीटीवी सामने आई है, जिसमें साफ तौर पर बाइक की रफ्तार से लेकर पूरा हादसा कैद हो गया। ‘वी केयर फॉर यू’ कहलाने वाली हाईटैक पुलिस के लिए बाइक सवार को पकड़ना तो दूर की बात। हादसे के छह दिन बीत जाने के बाद भी सारंगपुर थाने की पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं की।
धनास की हाउसिंग बोर्ड कालोनी के मकान नंबर-1072 निवासी किशन कुमार ने बताया कि वह इस मकान में अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं। उन्होंने अपनी छोटी बेटी अंजलि चौहान की शादी रोपड़ के गांव घनौली में रवि दास से की थी। उन दोनों का एक बेटा और एक बेटी हुए। उनका जमाई रवि दास गांव घनौली में ही प्राइवेट जॉब करता है। वीरवार यानि 18 मई को उनकी बेटी घनौली से अपने बेटे व बेटी के साथ उनके घर में रहने के लिए आई थी जबकि रवि दास जॉब के कारण नहीं आ सका। 19 मई दिन शुक्रवार रात करीब 7.30 बजे जब उनका दो साल का पौता जसप्रीत सड़क पार करने लगा, तो वाशिंग सैंटर की तरफ से तेज रफ्तार बाइक सवार ने बिना हॉर्न बजाए और बिना ब्रेक लगाए जसप्रीत को रौंद दिया और वहां पर रुकने के बजाए वह वहां से फरार हो गया। हादसे के बाद जसप्रीत नीचे गिर गया और आसपास के लोग इकट्ठे हो गए। जिसके बाद हादसे की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दी, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही पीड़ित परिवार बच्चे को सैक्टर-16 के जीएमएसएच में ले गए। जहां पर जसप्रीत के बेट से टांगों तक प्लास्तर लगा दिया गया। इसके अलावा उसके शरीर के और अंगों पर भी गहरी चोटें आई हैं। पीसीआर भी उनके घर पर आई और सारंगपुर थाने से इंवेस्टीगेशन ऑफिसर भी उन्हें मिला। जैसे ही रवि दास बेटे के एक्सीडेंट के बारे में पता चला तो वह भी तुरंत वहां पहुंचा और थाने में पुलिस को शिकायत दी गई। पुलिस ने उन्हें कहा कि आसपास कोई कैमरे में बाइक सवार का नंबर नहीं नोट हुआ और ऐसे में पुलिस ने बाइक सवार को क्लीन चिट देते हुए उसके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं की।
सीसीटीवी में पूरा हादसा कैद
सीसीटीवी फुटेज में साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि किस तरह बच्च सड़क पार कर रहा है और तेज रफ्तार बाइक सवार बिना हॉर्न बजाए, बिना ब्रेक लगाए बच्चे को रौंदता हुआ वहां से मिल्क कालोनी की तरफ फरार हो जाता है। जिस जगह पर हादसा हुआ है, वहां से महज आधा किलोमीटर की दूरी पर मिल्क कालोनी का पुलिस बीट बॉक्स भी स्थित है।
मासूम ने अभी स्कूल भी जाना शुरू नहीं किया।
रवि दास का दो साल का बेटा जसप्रीत है और चार साल की बेटी दीक्षा है। दीक्षा एलकेजी में पढ़ाई कर रही है और जसप्रीत ने तो अभी स्कूल भी जाना शुरू नहीं किया। अभी तो पीड़ित परिवार उसे स्कूल में डालने की तैयारी ही कर रहे थे कि एक जबरदस्त हादसे में उसे लंबे समय के लिए बैड पर लिटा दिया। इसके अलावा जसप्रीत दर्द के कारण दिन-रात रोता है कि चुप होने का नाम नहीं लेता, लेकिन चंडीगढ़ की हाईटैक पुलिस उसकी रोने की आवाज को अनदेखा कर रही है।
कई बार थाने जा चुका है पीड़ित परिवार
किशन ने बताया कि वह कई बार थाने में जा चुके हैं और इसके बावजूद पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। केस में पुलिस बार-बार बस यही कहकर पल्ला झाड़ लेती है कि किसी भी कैमरे में बाइक का नंबर नहीं नोट हो सका। अगर पुलिस ने आसपास के लोगों को सीसीटीवी फुटेज दिखाई होती, तो शायद बाइक सवार आज सलाखों के पीछे होता।
हादसे का एक बड़ा कारण, स्पीड ब्रेकर भी वहां नहीं
किशन के घर के बाहर जहां हादसा हुआ, वहां पर पहले एक स्पीड़ ब्रेकर हुआ करता था, लेकिन अब वह खराब हो चुका है। किशन के अनुसार अगर स्पीड ब्रेकर वहां होता, तो शायद बाइक सवार रफ्तार कम करता और उनका पौता आज इसी हालत में न होता।
एफआईआर नहीं, डीडीआर दर्ज हुई है: मुलाजिम
जब इस बारे में पुलिस का पक्ष लेने के लिए फोन सारंगपुर थाने में फोन किया गया, तो एक पुलिसकर्मी ने बताया कि इस हादसे में एफआईआर नहीं दर्ज की गई। इसमें सिर्फ डीडीआर ही दर्ज की गई है। बड़ा सवाल है कि आखिर छह दिन बाद भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की। यूं तो पुलिस वी केयर फॉर यू के स्लोगन के साथ-साथ हाईटैक होने का दर्जा देती है, लेकिन पुलिस का हाईटैक काम आप सबके सामने है।