जीवन ईश्वर का दिया तोहफा, इसे सरकारी मशीन के दुरूपयोग से बर्बाद नहीं होने दिया जा सकता: हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने एक एक मामले में सुनाए अपने फैसले में कहा है कि जीवन ईश्वर का दिया एन नायब तोहफा है, व्यक्तिगत दुश्मनी, और सरकारी मशीन के दुरूपयोग से इसे बर्बाद नहीं होने दिया जा सकता है।
जस्टिस जगमोहन बंसल एक आरोपी के खिलाफ जारी गैर जमानती वारेंट के आदेश रद्द करते हुए कहा है कि कई बार एक एक व्यक्ति की गिरफ़्तारी एक पूरे परिवार से उसकी आजीविका के साधन को छीन लेती है और वहीं उस व्यक्ति पर कभी न मिटने वाला कलंक भी छोड़ जाती है। हाईकोर्ट ने कहा कि हमारे पास ऐसा कोई तंत्र नहीं है कि अगर आरोपी निर्दोष साबित हो जाए तो इस दौरान उसके परिवार के सदस्यों का मूल्यवान समय, ऊर्जा, स्थिति, आजीविका कमाने वाले की अनुपस्थिति से पैदा हुई परेशानी की कैसे भरपाई की जा सके।
हाईकोर्ट ने कहा कि जो आदतन अपराधी नही है उसे सजा सुनाए जाने से पहले कैद रखना भी एक तरह से सजा ही है, ऐसे में गिरफ्तारी व्यक्ति को उसके मौलिक अधिकार से वंचित करती है।
हाईकोर्ट ने ये बातें हत्या के आरोपी की याचिका पर सुनाए फैसले में कही हैं। आरोपी को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी थी, लेकिन वह इसके बाद निचली अदालत में पेश नही हुआ तो निचली अदालत ने उसके खिलाफ ग़ैर जमानती वारेंट जारी कर दिए। अब हाईकोर्ट ने आरोपी के ग़ैर जमानती वारेंट तो रद्द कर दिए लेकिन साथ ही निचली अदालत में पेश नही होने पर उस पर 10000 रुपये जुर्माना भी लगा दिया है।