सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई जाने वाली कमेटी के सामने पेश होने से किसानों ने किया इनकार
कृषि कानूनों पर सुनवाई के दौरान पिटीशनर ने कहा- प्रधानमंत्री सामने नहीं आ रहे, चीफ जस्टिस बोले- हम उन्हें नहीं बोल सकते
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। 3 नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार दूसरे दिन सुनवाई चल रही है। बहस के दौरान पिटीशनर वकील एम एल शर्मा ने कहा- किसानों का कहना है कि कई लोग चर्चा के लिए आ रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री सामने नहीं आ रहे। इस पर चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा- हम उन्हें नहीं बोल सकते, इस मामले में वे पार्टी नहीं हैं
पिटीशनर ने कहा सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई जाने वाली कमेटी के सामने पेश होने से किसानों ने इनकार कर दिया है।
चीफ जस्टिस बोले यह कमेटी हमारे लिए होगी। इस मुद्दे से जुड़े लोग कमेटी के सामने पेश होंगे। कमेटी कोई आदेश नहीं देगी, न ही किसी को सजा देगी। यह सिर्फ हमें रिपोर्ट सौंपेगी। हमें कृषि कानूनों की वैधता की चिंता है। साथ ही किसान आंदोलन से प्रभावित लोगों की जिंदगी और संपत्ति की भी फिक्र है। हम अपनी सीमाओं में रहकर मुद्दा सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे पास कानून सस्पेंड करने और कमेटी बनाने का अधिकार है। इस मामले में जो कमेटी बनेगी, वह ज्यूडिशियल प्रोसेस का हिस्सा होगी। हम कानून सस्पेंड करने के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन यह अनिश्चितकाल के लिए नहीं होगा।
सरकार ने दलील दी है कि कई संगठनों ने कृषि कानूनों को फायदेमंद बताया है।