पंजाब

बड़े घोटाले का पर्दाफाश : आई ए एस पति हुआ मेहरवान ,पत्नी को फर्जी ढंग से मुआवज़ा दिला कर कर दिया मालामाल

एफ आई आर में आया IAS की पत्नी का नाम

फर्जी ढंग से 1 करोड़ 17 लाख रुपए का मुआवज़ा किया हासिल

चंडीगढ़, 6 मई: पंजाब के एक ऐसा मामला सामने आया है जब आई ए एस पति ने कनून व् सभी नियमो को तक पर रख कर अपनी पत्नी को फर्जी मुआवजा दिला कर मालामाल कर दिया । दरअसल पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने एक ऐसे घपले का पर्दाफास कर दिया जब पंजाब के एक आई ए एस अधिकारी ने अपने पद का गलत इस्तेमाल कर अपनी पत्नी को भी मुश्किल में डाल दिया है । विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि इस सम्बन्ध में एफ. आई. आर. नं. 16 तारीख़ 02/ 05/ 23 को आई. पी. सी. की धारा 409, 420, 465, 466, 468, 471, 120-बी और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 13(1) (ए), 13 (2) के अंतर्गत पुलिस थाना, उडऩ दस्ता-1 पंजाब मोहाली में केस दर्ज किया गया है।
गमाडा में फर्जी ढंग से मुआवज़ा हासिल करने वाले बड़े घोटाले में उस समय नया मोड़ आ गया है जब इस घोटाले में आई ए एस अधिकारी व् फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर राजेश धीमान की पत्नी का नाम भी एफ आई आर में गया है जिस समय राजेश धीमान गमाडा में उच्च पद तैनात थे उस दौरान ग्रेटर मोहाली एरिया डिवैल्पमैंट अथारटी (गमाडा) में साल 2016 से 2020 के दरमियान राज्य के बाग़बानी और राजस्व विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों की मिलीभुगत के साथ फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर ज़मीन एक्वायर करने के दौरान करोड़ों रुपए का फर्जी मुआवज़ा हासिल किया गया फर्जी मुआवज़ा लेने वाले में डी सी फिरोजपुर की पत्नी जस्मीन भी शामिल थी , जिस ने फर्जी ढंग से 1 करोड़ 17 लाख रुपए का मुआवजा ले लिया ।
जस्मीन कौर के पति राजेश धीमान उस समय गमाडा में एक उच्च पद पर तैनात थे, जब अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई थी, जिसके कारण उन्हें पता था कि गमाडा एसएएस नगर के गांव में जमीन का अधिग्रहण करने जा रही है. वे यह भी जानते थे कि गमाडा द्वारा भूमि अधिग्रहण लेकिन भूमि के अलावा अन्य माध्यमों से अधिक मुआवजा प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए उन्होंने सरकार से अधिक मुआवजा पाने के लिए गांव में जमीन खरीदना शुरू कर दिया। रजिस्ट्रियों में जानबूझकर बाग़ दिखाए गए थे। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के निर्देशानुसार एक एकड़ में 132 पौधे लगाए जा सकते हैं। उन्होंने प्रति एकड़ 2000 से 2500 पौधे लगाने शुरू कर दिए जिस का मुआवजा ले लिया । इसके अलावा चंडीगढ़ के सेक्टर 20 के मकान नंबर 3014 में रहने वाली एक महिला सुपनप्रीत कौर का नाम भी प्राथमिकी में शामिल है.
गहराई से पड़ताल दौरान यह पाया गया कि इस केस के मुख्य दोषी भुपिन्दर सिंह ने ख़ुद और अपने परिवारिक सदस्यों के लिए इसी अमरूदों के बाग़ के लिए लगभग 24 करोड़ रुपए का मुआवज़ा लिया। इसी तरह ही बठिंडा के निवासी मुकेश जिन्दल ने अमरूदों के बाग़ के लिए करीब 20 करोड़ रुपए का मुआवज़ा लेकर सरकार के साथ धोखाधड़ी की है। फलदार वृक्षों के लिए डीसी फिरोजपुर राजेश धीमान की पत्नी जस्मीन कौर को गमाडा पास से 1.17 करोड़ का फर्जी मुआवजा मिला. इसके इलावा इस मामले में कई अन्य व्यक्तियों ने भी अपनी ज़मीन में अमरूदों के बाग़ दिखा कर सरकार से करोड़ों रुपए का मुआवज़ा लिया है। उनके द्वारा सोची-समझी योजना के अनुसार भू-स्वामियों को भुगतान करने के बाद समझौता लिखा लिए और वे उसमें अमरूद लगायेंगे, यदि भूमि अधिग्रहित की जाती है तो अमरूदों का मुआवजा वे स्वयं लेंगे.

 

इस केस में मुख्य दोषी भुपिन्दर सिंह निवासी बाकरपुर जि़ला मोहाली समेत मुकेश जिन्दल, शमन जिन्दल पत्नी मुकेश जिन्दल, प्रवीण लता पत्नी चंचल कुमार जिन्दल, दोनों निवासी माडल टाऊन बठिंडा, विशाल भंडारी निवासी सैक्टर 40-डी, चंडीगढ़, सुखदेव सिंह निवासी बाकरपुर, बिन्दर सिंह निवासी सैक्टर 79, मोहाली और बचित्तर सिंह पटवारी, राजस्व हलका बाकरपुर (मौजूदा कानूनगो) एस. ए. एस. नगर को गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने बताया कि इसके इलावा बाग़बानी विभाग के कर्मचारी जसप्रीत सिंह, वैशाली, दिनेश कुमार, रश्मि अरोड़ा, अनिल अरोड़ा, विशाल भंडारी आदि को भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जायेगा जिससे कई और अहम खुलासे भी सामने आ सकते हैं।
एक शिकायत की जांच के दौरान विजीलैंस ब्यूरो ने पाया है कि साल 2016 में गमाडा ने एस. ए. एस. नगर जिले के अलग- अलग गाँवों से सम्बन्धित ज़मीन एक्वायर करने के लिए नोटिस जारी किये और साल 2017 में धारा 4 और 2020 में धारा 19 के अधीन नोटिफिकेशन जारी किये थे। उन्होंने आगे कहा कि बाकरपुर के रहने वाले प्रॉपर्टी डीलर भुपिन्दर सिंह ने गमाडा, राजस्व और बाग़बानी विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ मिलकर अपने अन्य साथियों अनिल जिन्दल, मुकेश जिन्दल, विकास भंडारी आदि के साथ मिलकर कृषि योग्य ज़मीन के पट्टेनामे/मुख़त्यारनामा लेकर अमरूदों के बाग़ लगा दिए।
एफ आई आर में कहा गया है के उक्त दोषियों ने हलका पटवारी बचित्तर सिंह की मिलीभुगत के साथ साल 2019 में जाली गिरदावरी रजिस्टर तैयार करवाया, जिसमें उसने 2016 से अपनी ज़मीन पर अमरूद के बाग़ों के मालिक बता कर नाजायज तौर पर करोड़ों रुपए का मुआवज़ा हासिल किया। इस तरह विजीलैंस ब्यूरो ने करोड़ों रुपए के इस बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है और बाकी दोषियों को भी जल्द ही काबू कर लिया जायेगा और मामले में आगे जांच जारी है।

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