तीनों कृषि कानून केंद्र सरकार ने अपने क्षेत्राधिकार का उलंघन कर बनाए: जस्टिस रंजीत सिंह
किसानों के इस आंदोलन जैसा आंदोलन दुनिया के इतिहास में पहले नहीं हुआ
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस रंजीत सिंह जोकि पंजाब के बेअदबी मामले की जांच कर चुके जांच आयोग के चेयरमैन भी रह चुके हैं, उन्होंने अब केंद्र सरकार द्वारा बनाए तीनों कृषि कानूनों के बारे में कहा है कि केंद्र सरकार ने अपने क्षेत्राधिकार का उलंघन कर यह तीनों कृषि कानून बना दिए हैं। जबकि कृषि विषय पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र के पास नहीं बल्कि राज्य सरकार के पास है।
जस्टिस रंजीत सिंह शनिवार को कृषि कानूनों को लेकर करवाए गए एक सेमिनार में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि कृषि का विषय राज्य सरकार का पास है। लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर कानून बना दिए, साफ़ है कि कानून की नजर में भी यह तीनों कानून सही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह तीनों कृषि कानून कॉर्पोरेट्स को ही फायदा पहुंचाएंगे। किसान जो इन कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे वह बिलकुल सही है। लाखों की संख्या में दिल्ली के बॉर्डर पर भरी सर्दी के मौसम में लाखों किसान जो इन तीनों कृषि कानूनों के विरोध में जिस तरह से शांतिपूर्वक, अहिंसात्मक और पूरी निष्ठा के साथ आंदोलन कर रहे हैं, वैसा आंदोलन आज तक दुनिया में कहीं भी नहीं हुआ है। इसके लिए उन्होंने किसानों की प्रशंसा की और कहा कि जब तक तीनों कानून वापिस नहीं हो जाते हैं, तब तक आंदोलन बंद नहीं होना चाहिए।
रिटायर्ड आई.ए.एस. एस.आर. लद्धड़ भी इस सेमिनार में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि कृषि विषय पर केंद्र सरकार ने कानून बना कर सीधे तौर पर राज्य सरकारों के क्षेत्राधिकार में दखल दिया है। केंद्र ने कृषि कानूनों की आड़ में देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाया है। केंद्र का यह दावा कि यह तीनों कानून किसानों के फायदे के लिए हैं तो केंद्र अब तक इन कानूनों के फायदे किसानों को बता क्यों नहीं पा रही है और जब किसान ही इन तीनों कानूनों को अपने खिलाफ समझते हैं तो केंद्र को यह कानून वापिस ले लिए जाने चाहिए।