अकाली दल ने केंद्र सरकार के खिलफ खोला मोर्चा , समान विचारधारा वाले दलों के साथ करेगा कांफ्रेंस , बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से भी संपर्क करने की कोशिश
शिरोमणी अकाली दल संघीय ढ़ांचे का मजबूत करने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के साथ कांफ्रेंस करेगी
कहा कि संघवाद का विघटन ,किसानों पर इसका प्रभाव तथा राज्यों के वित्तीय भलाई पर मुख्य ध्यान देने के लिए 15 जनवरी के बाद एक मीटिंग की जाएगी: प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा
पूर्व मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल इस कांफ्रेंस को संबोधित करेंगे
चंडीगढ़/07जनवरी: शिरोमणी अकाली दल ने एनडीए सरकार के तहत क्षीण हो रहे देश के संघीय ढ़ांचे को मजबूत करने के तरीकों तथा साधनों पर समान विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर संयुक्त रणनीति बनाने का निर्णय किया है।
पार्टियां 15 जनवरी के बाद दिल्ली में एक सम्मेलन करेंगी जिसका मुख्य फोक्स संघवाद का विघटन होना तथा किसानों पर इसके प्रभाव के साथ साथ राज्यों की वित्तीय भलाई पर होगा।
यहां एक बयान में वरिष्ठ शिरोमणी अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल द्वारा पार्टी की तीन मैंबरीय कमेटी बनाइ गई थी, जो देश में एकल व्यवस्था बढ़ने से फिक्रमंद थी। हमने तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, आईएनएलडी, डीएमके तथा समाजवादी पार्टी तक पहुंच की है। हम बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से भी संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। इसका उददेश्य हमारे संविधान निर्माताओं की कल्पना के अनुसार संघीय ढ़ांचे का मजबूत करने के लिए संयुक्त रूप से एक कांफ्रेस करना है।
प्रोफेसर चंदूमाजरा ने कहा कि क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने इस मीटिंग का हिस्सा बनने पर सहमति जताई थी जिसे पांच बार मुख्यमंत्री तथा शिरोमणी अकाली दल के सरंक्षक परकाश सिंह बादल संबोधित करेंगे। पहले यह मीटिंग 7 जनवरी को होनी तय की गई थी लेकिन सरदार बादल की अस्वस्थता के कारण थोड़ा बदलाव किया गया है।
शिरोमणी अकाली दल के नेता ने कहा कि तीन खेती अधिनियम जोकि संसद के माध्यम से धक्के से पास किए गए हैं में राज्य की शक्तियों में केंद्र का सीधा हस्तक्षेप था। उन्होने कहा कि भले ही खेती राज्य का विषय था, लेकिन केंद्र ने इस मुददे पर कानून बना दिया। हम पूरी तरह से स्पष्ट हैं कि ये कानूनों को संसद द्वारा नही बनाया जा सकता है। राज्यों की आर्थिकता को कमजोर करने के अलावा वे केवल काॅरपोरेट की सहायता करेंगे।प्रोफेसर चंदूमाजरा ने कहा कि राज्यों को केंद्र की दया पर नही किया जाना चाहिए यही प्रवृत्ति पश्चिमी बंगाल में देखी जा रही है जहां राज्यपाल एक निर्वाचित सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे थे तथा हाल ही में पंजाब में भी राज्य सरकार को दरकिनार कर वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया था। उन्होने कहा कि अकाली दल इस प्रवृति के खिलाफ है तथा केंद्र सरकार के हाथों में शक्तियों के बढ़ते केंद्रीकरण के खिलाफ रोक लगाने के लिए एक समान विचारधारा वाले दलों को एकजुट करने का प्रयास करेगा।