पंजाब

पंजाब सरकार को परेशान करने के लिए केंद्र ने ग्रामीण विकास फंड रोके- मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला

 

अलग-अलग राज्यों में ग़ैर-भाजपा सरकारों को निशाना बना रहा केंद्र

यदि एक जुलाई तक फंड जारी न किये तो सुप्रीम कोर्ट का रूख करेगी राज्य सरकार

राज्यों के मामलों में दख़ल देने के लिए राज भवन अब भाजपा के राज्य स्तरीय हैडक्वार्टर बन कर उभरे

प्रताप बाजवा ने पंजाबियों के सवालों के जवाब देने की बजाय सदन से भाग जाने का रास्ता चुना

चंडीगढ़, 20 जूनः

अलग-अलग राज्यों में ग़ैर-भाजपा सरकारों को परेशान करने के लिए केंद्र की भाजपा के नेतृत्व वाली एन.डी.ए. सरकार की आलोचना करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज कहा कि भाजपा अपने विरोधियों को निशाना बनाने के लिए ग्रामीण विकास फंड (आर.डी.एफ.) रोकने जैसे घटिया हथकंडे अपना रही है।

मुख्यमंत्री ने पंजाब विधानसभा के सदन में राज्य में आर.डी.एफ. जारी करने के लिए पेश किये गए प्रस्ताव पर हुई चर्चा को समेटते हुए कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि मौजूदा राज्य सरकार ने पिछली सरकारों की सभी त्रुट्टियों को दूर कर दिया परन्तु केंद्र ने फिर भी अभी तक फंड जारी नहीं किये। भगवंत मान ने कहा कि उन्होंने ख़ुद केंद्रीय मंत्री के साथ मुलाकात भी की थी, जिन्होंने भरोसा दिया था कि यह फंड जल्द ही जारी कर दिए जाएंगे। हालाँकि, उन्होंने कहा कि यह भरोसा हकीकत में कभी भी नहीं बदला और केंद्र सरकार ने राज्य के 3622 करोड़ रुपए से अधिक के ग्रामीण विकास फंड को रोक दिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर कोई जानता है कि केंद्र सरकार देश की ग़ैर-भाजपा सरकारों को निशाना बना रही है और उनको सुचारू ढंग से काम नहीं करने दिया जा रहा। उन्होंने कहा कि इस तानाशाही व्यवहार ने देश भर में लोकतंत्र को खतरे में डाल दिया है। भगवंत मान ने कहा कि यह एक ख़तरनाक रुझान है जिसको रोकने की ज़रूरत है क्योंकि यह देश के हित में नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यों में अपने घिनौने मंसूबों को पूरा करने के लिए केंद्र ने एक ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की है जिसको राज्यपाल के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने कहा कि गवर्नर का ओहदा अंग्रेज़ों के शासनकाल के समय भी मौजूद था और अभी भी केंद्र के चुने हुए ये लोग उसी तरह शाही ठाठ-बाठ के साथ रहते हैं, जैसे पहले रहते थे। भगवंत मान ने कहा कि वास्तव में यह राज भवन अब राज्य के मामलों में दख़ल देने के लिए भाजपा के प्रांतीय हैडक्वार्टर के तौर पर उभरकर सामने आए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल चुनी हुई सरकारों के काम में अनावश्यक बाधा पैदा कर रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘‘यदि राज्यपाल राज्यों के मामलों में दख़ल नहीं देते हैं तो केंद्र राज्यपालों को इसलिए डांटता है कि वह दफ़्तरों में फुर्सत से क्यों बैठे हुए हैं।’’ भगवंत मान ने पंजाब के राज्यपाल की तरफ से लिखी चिट्ठियों का रिकार्ड सदन में पेश करते हुए कहा कि राज्यपाल को ऐसे पत्र लिखने की बजाय आर.डी.एफ. जैसे मुद्दों को केंद्र के समक्ष हल करवाने के लिए कोशिश करनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के हितों की रक्षा करने की बजाय पंजाब यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर पंजाब के ही राज्यपाल अक्सर दूसरी तरफ़ खड़े नज़र आते हैं। भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार ने 3622 करोड़ रुपए रोक दिए हैं जो कि लिंक सड़कों के निर्माण, मंडियों में बुनियादी ढांचे में सुधार करने और अन्य कार्यों के लिए इस्तेमाल किये जा सकते थे। उन्होंने कहा कि यदि यह फंड जारी न किया गया तो राज्य सरकार इसके जल्द हल के लिए मामला सुप्रीम कोर्ट में लेकर जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कितनी दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में सबसे अधिक योगदान देने वाले राज्य के फंडों को केंद्र रोक रहा है। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह उन महान राष्ट्रीय नायकों के अथाह योगदान का सत्कार है जिन्होंने मातृ भूमि की ख़ातिर अपनी कीमती जानें न्यौछावर कर दीं थीं? भगवंत मान ने किसानों की फ़सल ख़रीदने से अपने पैर पीछे खींचने के लिए भी केंद्र पर तीखा हमला बोला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय खरीद एजेंसियों की तरफ से राज्य के किसानों को किसी न किसी बहाने परेशान किया जाता है और यहाँ तक कि मूल्य कटौती की जाती है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने राज्य के किसानों को मूल्य कटौती के एवज़ में मुआवज़ा देकर उनके हितों की रक्षा की। भगवंत मान ने कहा, ‘‘यदि राज्य के किसान इन एजेंसियों को अनाज बेचने से ही न कर दें तो केंद्र सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) के लिए अनाज कहाँ से लेकर आयेगी?’’

इस अहम मुद्दे पर बहस से भागने के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा करके वह राज्य के हितों का सीधे तौर पर नुक्सान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विरोधी पक्ष के नेता प्रताप बाजवा पंजाब के साथ जुड़े मसलों बारे जवाब देने की बजाय सदन से भाग गए हैं। भगवंत मान ने पंजाब निवासियों को न्योता देते हुए कहा कि लोगों को इन नेताओं से पूछना चाहिए कि जब आर.डी.एफ. को रोकने के खिलाफ बिल पास किया जा रहा था तो वह बायकॉट करके अपने घर क्यों भाग गए थे। भगवंत मान ने कहा कि इन नेताओं को राज्य के हितों के साथ कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि इनको हमेशा अपने निजी स्वार्थों की चिंता रहती है।

 

मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पंजाब विधानसभा द्वारा पंजाब यूनिवर्सिटी लॉज़ (संशोधन) बिल, 2023 सर्वसम्मति से पारित

प्रांतीय यूनिवर्सिटियों के चांसलरों की शक्तियां अब मुख्यमंत्री के पास होंगी

राज्यपाल को राज्य संबंधी जानकारी न होने के बावजूद उनको वी.सी. नियुक्त करने की शक्तियां देना पूरी तरह अनुचितः मुख्यमंत्री

चंडीगढ़, 20 जूनः

मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब विधानसभा द्वारा आज पंजाब यूनिवर्सिटी लॉज़ (संशोधन) बिल 2023 को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया, जिस कारण प्रांतीय यूनिवर्सिटियों के चांसलरों की शक्तियां मुख्यमंत्री के पास होंगी।

सदन में बहस को समाप्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब का अपना समृद्ध सभ्याचार और परंपराएं हैं, जिसको युवा पीढ़ियों तक पहुँचाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों ख़ास तौर पर यूनिवर्सिटियाँ इसमें अहम भूमिका निभा सकती हैं। भगवंत मान ने याद करवाया कि राज्य की यूनिवर्सिटियों ने कैसे महान बुद्धिजीवी, कलाकार और अलग-अलग क्षेत्रों में ख्याति हासिल करने वाली अहम हस्तियाँ पैदा की हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विरासत को आगे ले जाने के लिए राज्य की यूनिवर्सिटियों में वाइस चांसलर के तौर पर ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति करने की ज़रूरत है, जो इमानदार, विवेकशील और साफ छवि के हों। उन्होंने अफ़सोस जताया कि राज्यपाल, जो राज्य से सम्बन्धित नहीं हैं, यहाँ के इतिहास और सभ्याचार संबंधी अवगत न होने के कारण अनावश्यक बाधाएं उत्पन्न कर रहे हैं। भगवंत मान ने कहा कि यह कितनी अचंभे की बात है कि राज्यपाल राज्य बारे कुछ नहीं जानते परन्तु उनके पास वी. सी. नियुक्त करने की ताकत का होना पूरी तरह अनुचित है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के हितों की रक्षा करने के उलट पंजाब के राज्यपाल अक्सर दूसरी तरफ खड़े दिखाई देते हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी के मसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब और पंजाबियों के हितों की रक्षा करने की बजाय राज्यपाल ने यूनिवर्सिटी के सेनेट में दाखि़ले बारे हरियाणा के रूख का पक्ष लिया। भगवंत मान ने कहा कि यह बहुत अजीब स्थिति है क्योंकि राज्यपाल दिल्ली में बैठे अपने राजनैतिक आकाओं को ख़ुश करने के लिए यह सभी ढकोसे कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राज्य के लोगों के जनादेश का सीधा निरादर है, जिसके द्वारा लोगों ने अपनी भलाई के लिए काम करने हेतु राज्य सरकार को चुना है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा इस सम्बन्धी पहले ही पास किये बिल की तर्ज़ पर पंजाब सरकार ने यह बिल बनाया है, जो यूनिवर्सिटियों के चांसलरों की शक्तियां मुख्यमंत्री को मुहैया करेगा। भगवंत मान ने कहा कि इस एक्ट के लागू होने से राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री राज्य की यूनिवर्सिटियों के चांसलर होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के रोज़ाना के कामकाज में राज्यपाल की दखलअन्दाज़ी की कोई ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत के हितों की रक्षा के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जायेगी। भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार पंजाब की परंपरागत शान बहाल करने के लिए हर कदम उठाएगी।

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