मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारियों की तरफ से कुछ राजनीतिज्ञों के घरों में जबरन दाखिल होने की कोशिशों का गंभीर नोटिस लिया
लोगों को तंग-परेशान और निजता के उल्लंघन करने की आज्ञा नहीं दी जा सकती
प्रदर्शनकारियों को पंजाबियत की सच्ची भावना के अनुसार किसानों की हक की लड़ाई शांतमय रखने की अपील की
चंडीगढ़, 1 जनवरीः
संघर्षशील किसानों के समर्थन में कुछ प्रदर्शनकारियों की तरफ से राजनैतिक नेताओं और वर्करों के घरों में जबरन दाखिल होने की कोशिशों का गंभीर नोटिस लेते हुये मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज कहा कि ऐसी कार्यवाहियां पंजाबियत की भावना के बिल्कुल विपरीत हैं और इसको अनदेखा नहीं किया जा सकता।
ऐसे व्यवहार की कड़े शब्दों में निंदा करते हुये मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारियों को इस किस्म की कार्यवाहियों के साथ किसी भी पार्टी के राजनैतिक अधिकारियों के परिवार को तंग-परेशान करने या असुविधा पैदा न करने की अपील की है। उन्होंने चेतावनी देते हुये कहा कि लोगों की निजता के उल्लंघण से किसानों के शांतमयी संघर्ष के गौरव को चोट पहुंचेगी और इस आंदोलन के मकसद को भी ठेस पहुंचेगी। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को किसानों के हकों के लिए अपनी लड़ाई के दौरान कानून को हाथों में न लेने के लिए कहा।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पंजाब के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी की सरहदों पर महीनों भर चले संघर्ष के दौरान कठोर संयम दिखाने और किसी भी तरह की हिंसा और अराजकता में गलत हुये बगैर कुछ प्रदर्शनकारी संयम हार रहे हैं जबकि किसान नेता आंदोलन को शांतमयी रखने के लिए बार-बार स्पष्ट कर चुके हैं। उन्होंने इन प्रदर्शनकारियों को संयम से काम लेने और उसी स्वै-संयत की भावना के साथ किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करने की अपील की है जो अब तक किसान जत्थेबंदियों और उनके लाखों समर्थकों ने दिखाया है।
मुख्यमंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी राजनैतिक कार्यकर्ता के घर में जोर-जबरदस्ती से दाखिल होने की कोशिश करने या उनके घरों का घेराव करने से शांतमय माहौल खराब हो सकता है और अलग-अलग धर्मों, जातियों और भाईचारेें के दरमियान एकजुटता को क्षति पहुंच सकती है जोकि सदभावना और एकता के रंग में रंगी पंजाबियत की भावना के बिल्कुल खिलाफ है। उन्होंने कहा कि राजनीति अपनी जगह है परन्तु हमें पंजाबियत की भावना बुलंद रखनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारियों को किसान नेताओं के नेतृत्व में विश्वास रखने के लिए कहा जो केंद्र सरकार के साथ काले खेती कानूनों से पैदा हुई स्थिति से निपटने के लिए बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह तंग-परेशान करने या हिंसक कार्यवाहियां उनके शांतमयी प्रदर्शन करने के हक के विरुद्ध हैं। उनहोंने यह भी कहा कि ऐसी कार्यवाहियों के कारण राजनैतिक नेताओं या कार्यकर्ताओं को परेशान करने से पंजाब में अमन-कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है जबकि पंजाब को बीते कुछ वर्षों में मुल्क का सबसे शांतमयी राज्य बन का गौरव हासिल हुआ है।
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