पंजाब

 केसरी निशान गर्व का प्रतीक है जिसपर मानहानि अभियान के रूप में  चलाया जा रहा है : अकाली दल

शिरोमणी अकाली दल द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार

पार्टी के साथ एकजुटता दिखाने वाली समान विचारधारा वाली पार्टियों का धन्यवाद

 

कहा कि केसरी निशान गर्व का प्रतीक

 

कहा कि केंद्र किसान आंदोलन को दबाने की कोशिश  करने की बजाय किसान संगठनों के साथ फिर से बातचीत शुरू करे

चंडीगढ़/28जनवरी: शिरोमणी अकाली दल ने आज घोषणा की है कि वह संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करेगा ताकि केंद्र सरकार तीनों खेती कानूनों को रदद करे, इसके विरोध में पार्टी कल संयुक्त रूप से समान विचारधारा वाले दलों का शिरोमणी अकाली दल के साथ एकजुटता दिखाने के लिए धन्यवाद किया।

वरिष्ठ पार्टी नेताओं जिसमें सांसद बलविंदर सिंह भूंदड़ तथा नरेश गुजराल के साथ वरिष्ठ नेता प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि शिरोमणी अकाली दल किसानों की पार्टी है। हम हमेशा किसानों के साथ एकजुट खड़े हैं। वर्तमान स्थिति में जब केंद्र सरकार खेती अधिनियमों के विरूद्ध महीनों से आंदोलन कर रहे किसान समुदाय की पीड़ा को नही समझ नही है तो हमें लगता है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में भाग लेने की हमारी कोई जिम्मेदारी नही है इसीलिए हम इसका बहिष्कार कर रहे हैं।

खेती कानूनों को वर्तमान का सबसे बड़ा खतरा बताते हुए वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि ‘ इस क्षेत्र के सबसे बड़े नेता वह चाहे चैधरी छोटूराम हों, यां चैधरी चरण सिंह यां परकाश सिंह बादल हमेशा किसानों के साथ एकजुट खड़े रहे हैं।’ उन्होने कहा कि शिरोमणी अकाली दल न केवल किसान आंदोलन का समर्थन जारी रखेगा बल्कि यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा कि  विजयी हों।

पत्रकारों को जानकारी देते हुए प्रोफेसर चंदूमाजरा ने कहा कि शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष  सुखबीर सिंह बादल क्षेत्रीय दलनों के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं। उन्होने कहा कि हम तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक तथा शिवसेना के अलावा अन्य दलों से मिले हैं। हम सभी को लगता है कि पिछले सत्र में संसद के जरिए जिन खेती कानूनों को लागू किया गया था वे न केवल असंवैधानिक हैं बल्कि जनविरोधी भी हैं। हम यह महसूस करते हैं कि केंद्र सरकार किसी ऐसे मुददे पर जो राज्त्य का विषय था पर कानून बनाकर राज्यों की शक्तियों का अतिक्रमण कर रही है ।

प्रोफेसर चंदूमाजरा ने यह भी कहा कि केसरी निशान गर्व का प्रतीक है जिसपर मानहानि अभियान के रूप में  चलाया जा रहा है। ‘ हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि किसान आंदोलन किसी विशेष वर्ग के लोगों यां किसी एक धर्म से संबधित लोगों की लड़ाई नही है बल्कि बड़े पैमाने पर लोगों की लड़ाई है। हम केंद्र से अपील करते हैं कि वह इस सच्चाई को पहचाने तथा अभिमानी तथा अड़ियल रवैया न अपनाए तथा तीनों खेती अधिनियमों को तत्काल रदद करे।

भूंदड़ तथा सरदार गुजराल सहित वरिष्ठ नेताओं ने जोर देकर कहा कि केंद्र को किसान आंदोलन को दबाने के लिए कठोरता का सहारा  लेकर शांतिपूर्ण माहौल को खराब नही करना चाहिए। उन्होने कहा कि ऐसा करने की बजाय केंद्र सरकार को वर्तमान गतिरोध तोड़कर किसान संगठन के साथ बातचीत फिर से शुरू करनी चाहिए।

इस बीच नेताओं ने कहा कि किसानों को गणतंत्र दिवस पर शांतिपूर्ण परेड में शामिल होने का अधिकार था तथा जो दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई  वे अनुमति में देरी के साथ साथ टै्रक्टर परेड के लिए मार्ग तय करने में देरी का परिणाम है। ‘ जो कुछ भी हुआ वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था लेकिन सरकार को पूरी घटना की निष्पक्ष जांच के आदेश देने चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि घटनाओं के पीछे कौन जिम्मेदार था। इन नेताओं ने कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी (आप) को भी सलाह दी कि वे किसान समुदाय के लिए संकट की घड़ी में रचनात्मक तथा परिपक्व भूमिका निभाएं तथा तुच्छ राजनीति में लिप्त न हों।

 नरेश गुजराल ने विस्तार से बताया कि किस तरह पूर्व मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कैबिनेट से इस मुददे पर आपत्ति जताई थी तथा किस तरह उन्होने किसानों की चिंताएं दुर करने की मांग करते हुए इस मुददे को केंद्र के समक्ष उठाने की कोशिश की थी। उन्होने कहा कि शिरोमणी अकाली दल ने अपनी तरफ से यह भी अनुरोध किया था कि विधेयक को प्रवर कमेटी के पास भेजा जाए ताकि सभी हितधारकों से सलाह मशवरा किया जा सके। उन्होने कहा कि यह हैरानी की बात है कि हाल ही में केंद्र ने कानूनों को डेढ़ साल के लिए निलंबित करने पर सहमति जताई थी लेकिन इससे संसद के माध्यम से इसे दबा दिया गया।

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