*डी. ई. टी. सी. वाई. एस. मट्टा की तरफ से लगाए टैक्स चोरी के दोष पूरी तरह बेबुनियाद, झूठे और अपमानजनक : अनुराग वर्मा*
*वाई. एस. मट्टा को ड्यूटी के दौरान बीयर पीने के लिए पहले भी सुनायी गई जा चुकी है सजा*
चंडीगढ़, 2 जुलाईः
गृह और न्याय विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग वर्मा ने आज उप आबकारी और कराधान कमिश्नर वाई. एस. मट्टा की तरफ से लगाए टैक्स चोरी के दोषों को सिरे से नकारते हुये इनको झूठे, बेबुनियाद और अपमानजनक करार दिया है।
उन्होंने बताया कि श्री मट्टा स्वयं 5 जिलों के ज्वाइंट डायरैक्टर (जांच) बठिंडा और अन्य 5 जिलों के डी. ई. टी. सी., अमृतसर के तौर पर इंचार्ज रहे हैं। यदि कोई टैक्स चोरी हुयी थी तो उन्होंने स्वयं इन 10 जिलों में एक भी केस क्यों नहीं पकड़ा।
मट्टा के द्वारा आर्थिक इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) को जो भी जानकारी दी गई थी, उसके मुताबिक सिर्फ 3 मामलों में तरुटियां पायी गई थीं। मैंने बतौर ई. टी. सी. इन मामलों में सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिए। हालांकि, जब इन 3 डीलरों के सामने यह कमियां लाईं गई तो उन्होंने अपने खाते सम्बन्धी किताबें पेश की जो यह दर्शाती हैं कि उन्होंने अपनी किताबों में आयात को पूरी तरह दर्ज किया है। इसलिए, सम्बन्धित टैक्स अधिकारियों ने निष्कर्ष निकाला कि टैक्स की कोई चोरी नहीं की गई थी।
इस सम्बन्धी और जानकारी देते हुए श्री वर्मा ने कहा कि उनको सौंपी गई रिपोर्ट अनुसार, मट्टा द्वारा लाए गए डाटा का स्तर बहुत बुरा था और इसमें ज़्यादातर टैक्सों सम्बन्धी शिकायत करने वाली फर्मों / संस्थाओं जैसे ट्रिब्यून ट्रस्ट, हिंद समाचार समूह, रोजाना अजीत, वर्धमान, हीरो सायकिल आदि का डाटा शामिल था।
और जानकारी देते हुये श्री वर्मा ने कहा कि उनके विभाग ने मट्टा द्वारा पेश किये गए आंकड़ों की की तस्दीक करने के लिए एक बड़े स्तर की कवायद आरंभ की और पता लगा है कि 44, 000 करोड़ रुपए की वस्तुओं में से 43,900 करोड़ रुपए डीलरों ने अपनी किताबों में दर्ज किये थे। सिर्फ 95 करोड़ रुपए का फर्क निकला जिसकी कि अधिकतम संभावित टैक्स देनदारी 5 करोड़ रुपए बनती है, जो बकाया है और इसकी जांच चल रही थी। आबकारी और कराधान विभाग ने अदालत में हलफनामा दायर करके इन तथ्यों को बयान करते हुये कहा है कि मट्टा ने विभाग का समय बर्बाद किया है और इसके लिए मट्टा को इसका भारी खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। विभाग और मेरी तरफ से दायर किये गए हल्फनामे के नीचे सांझा किये गए हैं। यह हलफनामा दायर होने के बाद, मट्टा दलीलों से भाग रहा है और 2 बार तारीखें ले चुका है।
आबकारी विभाग ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि आयातकों को आयात ड्यूटी का सेनवैट क्रेडिट मिलता है और इसलिए इन आयातों को उनकी खाता किताबों से बाहर रखने की कोई वजह नहीं थी।
ज़िक्रयोग्य है कि श्री मट्टा को पिछले समय के दौरान ड्यूटी के दौरान बीयर पीने के लिए ‘निंदा’ की सजा सुनायी गई थी जोकि पंजाब सरकार कर्मचारी (आचारण नियम), 1966 के नियम 22 का उल्लंघन है।
श्री वर्मा ने कहा कि वह ऐसे झूठे दोष लगाने वालों और उनको बदनाम करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने पर विचार कर रहे हैं।