हिमाचल प्रदेश

कैप्टन संजय दो हाथ से कमाते हैं तो चार हाथ से बांटते हैं-जीडी बख्शी

कैप्टन संजय दो हाथ से कमाते हैं तो चार हाथ से बांटते हैं-जीडी बख्शी

-बख्शी ने हिमाचल के सेना के वीर सपूतों के साहस व शौर्य को सराहा

धर्मशाला-

रिटायर्ड मेजर जनरल और रक्षा विशेषज्ञ डा. जी. डी. बख्शी ने कैप्टन संजय के सामाजिक सरोकारों की सराहना करते हुए कहा कि पराशर ने कोरोनकाल में अपने संसाधनों का उपयोग करके आम जनता की तन-मन-धन से सेवा की। इसके अलावा भी वह समाज के अंतिम पायदान पर खड़े समाज के हित में निरंतर काम कर रहे हैं। रविवार को धर्मशाला के एक्स सर्विस मैन लीग हॉल में सेवानिवृत सैनिकों से संवाद करते हुए बख्शी ने कहा कि आज के समय में संजय पराशर जैसी शख्सियतों की राजनीति में भी बेहद जरूरत है ताकि विजन और ध्येय के साथ आम आदमी का भला हो सके। कहा कि हिमाचल प्रदेश की वीर भूमि की शौर्यगाथाओं का इतिहास गौरवमयी व बहुत पुराना रहा है। देश के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर, विश्व युद्धों, आजाद हिंद सेना और देश के लगभग सभी सैन्य अभियानों व युद्धों में हिमाचल के वीर सपूतों ने कुर्बानियां देकर प्रदेश को देवभूमि के साथ वीरभूमि की कतार में भी खड़ा किया है। इसीलिए हिमाचल अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों व परंपराओं के साथ अपने वीर सैनिकों के कारण भी देश भर में अपनी विशेष पहचान बनाए हुए है। कहा कि स्वतंत्र भारत के पहले सर्वोच्च सैन्य सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से हिमाचल के मेजर सोमनाथ शर्मा को नवाजा गया था। कैप्टन विक्रम बतरा और सौरभ कालिया का जिक्र करते हुए बख्शी ने कहा कि हिमाचल के शूरवीरों के त्याग, तपस्या व बलिदान की कहानियां प्रदेश के कोने-कोने में मौजूद हैं। धर्मशाला के बिग्रेडियर शेर जंग थापा की शौर्य गाथा के बारे में बताते हुए बख्शी ने कहा कि डोगरा समुदाय में शौर्य और पराक्रम टूट-टूट कर भरा है। बख्शी ने कहा कि हिमाचली लोगों के बहादुरी के किस्से बड़े पुराने हैं। जब भारत अंग्रेजो का गुलाम था और सभी कहते थे कि दुनिया में अंग्रेजों की सत्ता का कभी सूर्यास्त नहीं होता था, तो उस समय में भी हिमाचल के आजाद हिंद फौज के कोने-कोने से सैनिकों ने कुर्बानियां देकर आजादी के सपने को भी पंख लगा दिए थे। आज वह हिमाचल में भी इस मकसद में आए हैं और कैप्टन संजय के माध्यम से इन सैनिकों के परिवारों से रूबरू होने जा रहे हैं। लेकिन विडम्बना है कि आजाद हिंद फौज के 26 हजार सैनिकों ने देश के लिए प्राण न्योच्छावर किए थे, लेकिन इन सैनिकों के नाम पर पूरे देश में एक पत्थर नहीं लगा है और न ही कोई वार मेमोरियल है। कहा कि इसके लिए उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर संघर्ष किया। नेता जी सुभाष चंद्र की 125 वीं जयंती है और उन्हें यह घोषणा करते हुए हर्ष हो रहा है कि अगले वर्ष नई दिल्ली में इन सैनिकाें का युद्ध स्मारक बनाने की प्रधानमंत्री नेरन्द्र मोदी ने स्वीकृति दे दी है।

कहा कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश शिक्षा, बागवानी, पर्यटन व कई अन्य विकास कार्यों में उन्नति करके उस मुकाम पर पहुंच गया है कि देश-विदेश में किसी पहचान का मोहताज़ नहीं है, लेकिन सच यह भी है कि देश की आज़ादी व स्वाभिमान के लिए बलिदान देकर शौर्यगाथाओं का इतिहास आज भी सभी के लिए प्ररेणास्त्रोत है। यह वही हिमाचल है जहां के हर घर से कोई युवा देश की सेना में सेवाएं देने के लिए तैयार रहता है। इस माैके पर मेजर विजय सिंह मनकोटिया और कैप्टन संजय पराशर ने भी कार्यक्रम में अपने विचार रखे।

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