पंजाब

राज्यसभा में आप सांसद राघव चड्ढा ने  बेरोजगारी, महंगाई, रुपयों की गिरती कीमत, निजी निवेश में गिरावट, किसानों से जुड़े मुद्दों सहित कई अहम मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरा

राज्यसभा में आप सांसद राघव चड्ढा का दमदार भाषण, बीजेपी सरकार से किए तीखे सवाल

 

-प्रस्तावित बजट से अतिरिक्त धन की मांग इस बात का प्रमाण है कि केंद्र सरकार बजट प्रबंधन में बुरी तरह विफल : चड्ढा

-राघव चड्ढा ने सदन के समक्ष साल में दो बार बजट पर चर्चा का रखा प्रस्ताव

– भारत की अर्थव्यवस्था बड़ी बीमारियों से पीड़ित, अतिरिक्त धन स्वीकृत करने से पहले सदन और सरकार को गौर करने की आवश्यकता– राघव चड्ढा

-‘हर घर बेरोजगार, यही है आज की भाजपा सरकार’: राघव चड्ढा

-महंगाई दर को देखते हुए आज देश को आधार कार्ड की नहीं, उधारी कार्ड की जरूरत : राघव चड्ढा

-भाजपा सरकार की खराब आर्थिक नीतियों का नतीजा है कि इस बार त्योहारी सीजन में भी विकास दर में रही गिरावट

-चड्ढा का बीजेपी पर हमला : फ्री की रेवड़ी भी नहीं देते फिर कर्ज के 85 लाख करोड़ कहां गए?

-किसान भोला हो सकता है, भ्रमित नहीं, 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार हर दिन 30 किसानों ने की आत्महत्या, सरकार के पास पूंजीपतियों का कर्ज माफ करने के लिए पैसा है, अन्नदाताओं के लिए नहीं : राघव चड्ढा

-कॉरपोरेट टैक्स में कमी और पूंजीपतियों की कर्जमाफी के बावजूद निजी क्षेत्र में निवेश में गिरावट क्यों, केन्द्र सरकार जवाब दे : राघव चड्ढा

-जब हम दिल्ली में मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं देते हैं, तो भाजपा कहती है कि अरविंद केजरीवाल ‘मुफ्त रेवड़ी’ बांट रहे हैं : चड्ढा

-ईडी के नए कार्यालय के लिए अतिरिक्त बजट की मांग को लेकर भी राघव चड्ढा ने भाजपा पर हमला बोला

नई दिल्ली/चंडीगढ़, 19 दिसंबर

आम आदमी पार्टी(आप) के वरिष्ठ नेता और पंजाब से राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने सदन में अनुदान के अतिरिक्त पैसे की मांग को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि काश यह सुविधा देश के आम आदमी को भी मिलती जिन्हें महीने के आखिरी दिनों में कठिन संघर्ष का सामना करना पड़ता है।

सोमवार को राज्यसभा में अपने संबोधन के दौरान सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि प्रस्तावित बजट से अतिरिक्त पैसे की मांग के दो कारण है। पहला, वित्तीय वर्ष की शुरुआत में सरकार ने जनता को गुमराह करने के लिए  राजकोषीय घाटे को छिपाकर आवश्यक धन की मात्रा को कम करके अपना बजट पेश किया। दूसरा कारण है कि सरकार बजट प्रबंधन में पूरी तरह विफल रही।

राघव चड्ढा ने कहा कि सरकार अतिरिक्त बजट की मांग लेकर सदन में आई, लेकिन दो अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा होनी चाहिए। सरकार ने 40 लाख करोड़ रुपए का बजट इस साल पेश किया, लेकिन भारत के सभी मौजूदा आर्थिक संकेतक खतरे की घंटी बजा रहे हैं। इसलिए यह मुद्दा आज से 2-3 महीने बाद पेश होने वाले बजट 2023-24 की भी नींव रख सकता है।

राघव चड्ढा ने सदन के समक्ष दो बार बजट पर चर्चा का प्रस्ताव रखा

चड्ढा ने सदन को अहम सुझाव देते हुए कहा कि बजट पर दो बार चर्चा होनी चाहिए। एक जब बजट पेश किया जाता है और दूसरा शीतकालीन सत्र के दौरान बजट पेश होने के 7-8 महीने बाद ताकि सदन और देश की जनता जान सके कि प्रस्तुत बजट को खर्च कर देश ने क्या हासिल किया है? कितनी नौकरियां पैदा हुई? बेरोजगारी और महंगाई दर क्या है?

भारत की अर्थव्यवस्था प्रमुख बीमारियों से पीड़ित है, अतिरिक्त धन स्वीकृत करने से पहले सदन और सरकार को उन पर गौर करने की आवश्यकता है।– राघव चड्ढा

उन्होंने आगे कहा कि आज सरकार सदन में 3,25,757 करोड़ रुपये मांग रही है। इससे पहले राघव चड्ढा ने 8 प्रमुख आर्थिक समस्याओं की ओर सदन और वित्त मंत्री का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि ये 8 बीमारियाँ हैं जिनसे भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह गड़बड़ा गई है।

-‘हर घर बेरोजगार, यही है आज की भाजपा सरकार’: राघव चड्ढा

राघव चड्ढा के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था के सामने सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है, जिसकी दर पिछले 45 सालों में सबसे ज्यादा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने हर साल 2 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था, नौकरी तो नहीं मिली लेकिन केंद्र सरकार ने बेरोजगारी दर में सारे रिकॉर्ड जरूर तोड़ दिए हैं। 2014 में जब भाजपा सरकार आई थी तो बेरोजगारी दर 4.9% थी जो आज बढ़कर 8% हो गई है और ये सिर्फ संगठित बेरोजगारी दर है बाकी असंगठित का तो सरकार हिसाब तक नहीं देती। सरकार को नौकरियों के लिए 22 करोड़ आवेदन मिले और सिर्फ 7 लाख नौकरियां दी गईं। युवा देश के रूप में जिस देश पर हम गर्व महसूस करते हैं,आज उस देश की बेरोजगारी दर युवाओं पर बोझ बन गई है। उन्होंने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि उनका नया नारा होना चाहिए ‘हर घर बेरोजगार, ये है बीजेपी सरकार’.

-महंगाई दर को देखते हुए आज देश को आधार कार्ड की नहीं, उधारी कार्ड की जरूरत : राघव चड्ढा

चड्ढा ने महंगाई को लेकर सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आज देश को आधार कार्ड नहीं बल्कि उधारी कार्ड की जरूरत है। आज देश उस महंगाई से जूझ रहा है जिसे सरकार बिना कोई कानून लाए जनता पर थोपती है। महंगाई 30 साल के उच्चतम स्तर पर है। थोक मुद्रास्फीति की दर 12-15 प्रतिशत और खुदरा 6-8 प्रतिशत है। चड्ढा ने कहा कि वादा देश की जनता से आय बढ़ाने का था लेकिन पिछले 8 साल में जो बढ़ोतरी हुई है वह महंगाई ही है। सरकार हर देशवासी को कंगाल कर रही है। 2014 के मुकाबले पेट्रोल 55 रुपये से 100 रुपये प्रति लीटर, डीजल 45 रुपये से 90 रुपये प्रति लीटर, दूध 30 रुपये प्रति लीटर से 60 रुपये प्रति लीटर और सिलेंडर 400 रुपये से बढ़कर 1100 रुपये हो गया है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री प्याज नहीं खाती, आटा, दाल, चावल और पनीर जरूर खाती हैं और उन्हें मालूम होगा कि आज देश में खाद्य मुद्रास्फीति की दर 10-17 प्रतिशत है, जिससे आम आदमी की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। क्योंकि भारत की प्रति व्यक्ति आय में भाजपा सरकार के दौरान 9,160 रुपए की कमी आई है।

-भाजपा सरकार की खराब आर्थिक नीतियों का नतीजा है कि इस बार त्योहारी सीजन में भी विकास दर में रही गिरावट

चड्ढा ने आर्थिक सुधार के सरकार के वादे पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 13.5% की विकास दर दूसरी तिमाही में घटकर सिर्फ 6.3% पर रह गई, जोकि त्योहारी सीजन है। चौथी तिमाही यानी अगले बजट के दौरान यह और गिरकर 5% हो जाएगा जो पहले कभी नहीं हुआ। सरकार अगले वित्तीय वर्ष के लिए 8% की वृद्धि की बात कर रही है, लेकिन विश्व बैंक और IMF का डेटा बताता है कि विकास 5-6% के बीच रहेगा।

-चड्ढा का बीजेपी पर हमला : फ्री की रेवड़ी भी नहीं देते फिर कर्ज के 85 लाख करोड़ कहां गए?

कर्ज अगली बड़ी समस्या है क्योंकि भारत ने 1947-2014 तक 66 वर्षों में 55 लाख करोड़ रुपये का ऋण लिया। वहीं भाजपा सरकार ने 2014-2022 के बीच केवल 8 वर्षों में 85 लाख करोड़ रुपये का ऋण लिया। उन्होंने भाजपा को घेरते हुए कहा कि मोदी सरकार ‘मुफ्त की रेवड़ी’ भी नहीं बांटती, फिर यह सारा पैसा कहां जा रहा है?

-किसान भोला हो सकता है, भ्रमित नहीं, 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार हर दिन 30 किसानों ने की आत्महत्या, सरकार के पास पूंजीपतियों का कर्ज माफ करने के लिए पैसा है, अन्नदाताओं के लिए नहीं : राघव चड्ढा

किसानों का मुद्दा उठाते हुए आप सांसद ने कहा कि यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक बीमारी की तरह है कि पूंजीपतियों का कर्ज माफ किया जा रहा है जबकि पिछले 8 सालों में किसानों पर कर्ज का बोझ 53 फीसदी बढ़ गया है। आज हर किसान पर औसतन 75,000 रुपये का कर्ज है। जब गरीब किसान कर्ज चुकाने में असमर्थ होता है तो उसे अपमानित किया जाता है, लेकिन हजारों करोड़ रुपये डकारने वाले बड़े पूंजीपतियों को सरकार बिजनेस क्लास में विदेश भेज रही है।

उन्होंने कहा कि देश का अन्नदाता जहर खाने को मजबूर है, वर्ष 2021-22 में 10,851 किसानों ने आत्महत्या की। यानी प्रतिदिन करीब 30 किसानों की मौत हुई। उन्होंने भाजपा सरकार को एक साल से अधिक समय तक चले किसान आंदोलन और शहीद किसानों की याद दिलाई और कहा कि किसान भोला हो सकता है, लेकिन भुलक्कड़ नहीं है। किसानों को उनकी आय दोगुनी करने का वादा भी किया गया था लेकिन हुआ बिल्कुल उल्टा।

-कॉरपोरेट टैक्स में कमी और पूंजीपतियों की कर्जमाफी के बावजूद निजी क्षेत्र में निवेश में गिरावट क्यों, भाजपा सरकार जवाब दे: राघव चड्ढा

चड्ढा ने निजी क्षेत्र में घटते निवेश को लेकर भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सरकार ने कॉरपोरेट क्षेत्र के लिए दो कदम उठाए हैं। पहला कॉरपोरेट टैक्स को 30% से घटाकर 22% कर दिया जिससे सरकार को हर साल डेढ़ लाख करोड़ का घाटा हो रहा है और दूसरा पिछले 5 सालों में भाजपा सरकार ने पूंजीपतियों का 10 लाख करोड़ का कर्ज माफ किया है। सरकार ने तर्क दिया था कि इससे रोजगार बढ़ेगा, महंगाई कम होगी, लेकिन हर तथ्य बताता है कि हुआ इसके बिल्कुल उलट है। महंगाई और बेरोजगारी की दर आसमान छू रही है और निजी क्षेत्र में निवेश में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। पहली तिमाही में 20% और विदेशी निवेश में 59% की गिरावट आई थी। इसके साथ ही 2019-20 से जीएफसीएफ में भी लगातार गिरावट आ रही है। चड्ढा ने कहा कि वित्तमंत्री को यह समझने की जरूरत है कि निवेश रियायत देने से नहीं बल्कि मांग बढ़ाने से आता है.

-रुपये में गिरावट और निर्यात भी, नए स्टार्टअप की विफलता चिंता का विषय: राघव चड्ढा

उन्होंने रुपये के मूल्य में लगातार हो रही गिरावट पर चिंता जताते हुए कहा कि पहले भाजपा के बड़े नेता कहते थे कि रुपये के गिरने से देश की इज्जत गिरती है, लेकिन अब मान, प्रतिष्ठा और रुपया न्यूनतम स्तर पर आ गया है। उन्होंने कहा कि हैरानी की बात यह है कि रुपया गिरने के बावजूद निर्यात भी गिर रहा है, जो सामान्य नहीं है. नए स्टार्टअप्स की विफलता दर बहुत अधिक है, जो अर्थव्यवस्था के लिए आठवीं सबसे बड़ी चुनौती है। 10% से भी कम नए स्टार्टअप अपने 5 वर्ष पूरे करने में सफल हो सके और सभी प्रमुख स्टार्टअप लगातार कम हो रहे हैं, जिससे बेरोजगारी की दर बढ़ रही है।

-बीजेपी ‘मुफ्त रेवड़ी’ भी नहीं देती, फिर सब्सिडी के लिए अतिरिक्त बजट की क्या जरूरत: राघव चड्ढा

जब हम दिल्ली में मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं देते हैं, तो यह सरकार कहती है कि अरविंद केजरीवाल ‘मुफ्त रेवड़ी’ बांट रहे हैं: चड्ढा

चड्ढा ने आगे कहा कि सरकार ने जो अतिरिक्त पैसे मांगे हैं, उनमें से ज्यादातर में सब्सिडी के लिए फंड मांगा है. जब हम दिल्ली में मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं देते हैं, तो यह सरकार कहती है कि अरविंद केजरीवाल ‘मुफ्त रेवड़ी’ बांट रहे हैं। उनकी सब्सिडी सब्सिडी और आम आदमी पार्टी सरकार की सुविधाएं ‘मुफ्त रेवड़ी’. उन्होंने कहा कि सांसद को 34 हवाई उड़ानें, मुफ्त पानी, 50,000 लीटर पेट्रोल प्रति वर्ष मुफ्त मिलता है, लेकिन जब ये सुविधाएं आम आदमी को दी गईं, तो इन लोगों ने इसे ‘रेवड़ी’ कहा। उन्होंने कहा कि दुनिया के 40 विकसित देश मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराते हैं और इसीलिए आज वे विकसित देश हैं।

ईडी के नए कार्यालय के लिए अतिरिक्त बजट की मांग को लेकर आप नेता राघव चड्ढा ने भाजपा पर हमला बोला

अनुदान की पूर्ति के लिए अतिरिक्त बजट की मांग में केंद्र सरकार ने ईडी के नए कार्यालय और जमीन आदि के लिए 30 करोड़ रुपये मांगे हैं. चड्ढा ने इस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यह बीजेपी सरकार का सबसे ज्यादा काम करने वाला विभाग है, जिसके सिर पर उन्होंने सभी नेताओं को जेलों में ठूस रखा है, इस लिए केंद्र सरकार 30 करोड़ की बजाए 30 लाख करोड़ का बजट रखे और हर गली और गांव में ईडी के थानें खोले जाएं।

-बीजेपी सरकार और वित्तमंत्री से राघव चड्ढा के भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े 10 अहम सवाल

इसके बाद राघव चड्ढा ने सदन और बीजेपी सरकार के समक्ष 10 सवाल रखे. पहले माननीय वित्तमंत्री क्या 1 किलो आटा और 1 लीटर दूध का रेट जानती हैं? दूसरा, भाजपा का 2022 का मेगा बजट रोजगार पैदा करने में विफल क्यों रहा? तीसरा, भारत में उत्पादित उत्पाद इतने महंगे और आम आदमी के बजट से बाहर क्यों हैं? चौथा, कॉर्पोरेट क्षेत्र को रियायतें देने के बावजूद निजी क्षेत्र में निवेश क्यों नहीं है? पांचवां, पूंजीपतियों के कर्ज माफी और कर कटौती से कितनी नौकरियां पैदा हुईं? छठा, नई अर्थव्यवस्था यानी स्टार्टअप इकोनॉमी में भारी गिरावट और असफलता क्यों? सातवां, रुपया कब तक अपने मूल्य को पुनः प्राप्त करेगा? क्या डॉलर के मुकाबले सैकड़ों रुपये का इंतजार कर रही है सरकार? आठवां, निर्यात में गिरावट क्यों? नौवां, महंगाई दर के विकास दर से अधिक होने का क्या महत्व है? मैं आपको बताता हूं कि आम आदमी पर से टैक्स का बोझ कब कम होगा?

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