पंजाब

पंजाब ने बाढ़ पीड़ितों के लिए मुआवज़ा राशि दोगुनी करने के लिए केंद्रीय टीम से नियमों में छूट माँगी 

मुख्यमंत्री भगवंत मान पत्र लिखकर भी केंद्रीय गृह मंत्री के समक्ष रख चुके हैं नियमों में छूट की माँग 

राज्य के पास फंडों की कोई कमी नहीं, सिर्फ़ नियमों में बदलाव की ज़रूरतः अनुराग वर्मा*
पंजाब का दौरा करने आई अंतर- मंत्रालयी केंद्रीय टीम ने मुख्य सचिव के साथ की मीटिंग*
चंडीगढ़, 10 अगस्तः
पंजाब के मुख्य सचिव अनुराग वर्मा ने केंद्रीय टीम के समक्ष बाढ़ से हुए नुकसान की पूर्ति करने के लिए पीड़ितों की की जाने वाली मदद के नियमों में छूट देने की माँग की है। उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिख कर बताया गया है कि पीड़ितों को मुआवज़ा देने के लिए राज्य के आपदा राहत फंडों में कोई कमी नहीं, सिर्फ़ नुकसान की पूर्ति करने के नियमों में बदलाव की ज़रूरत है जिससे लोगों के नुकसान की पूरी भरपाई हो सके। पंजाब ने जान-माल के नुकसान के लिए मुआवज़ा राशि को बढ़ाने की माँग की है। 
पंजाब और पहाड़ी इलाकों में निरंतर मूसलाधार बारिश के कारण राज्य में आयी बाढ़ से हुए नुकसान का ज़मीनी स्तर पर जायज़ा लेने के लिए पंजाब के दौरे पर आई सात सदस्यीय अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम ने विभिन्न जिलों का दौरा करने के बाद आज यहाँ पंजाब सिवल सचिवालय में मुख्य सचिव के साथ मीटिंग की। मीटिंग के दौरान विभागवार बाढ़ से हुए नुकसान की पेशकारी दिखाने के बाद मुख्य सचिव ने केंद्रीय टीम को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी। 
मुख्य सचिव  वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री की तरफ से लिखे पत्र में पीड़ितों को दी जाने वाली मुआवज़ा राशि करीब दोगुनी करने की माँग की गई जैसे कि मृतक के परिवार को दी जाने वाली मुआवज़ा राशि 4 लाख रुपए से बढ़ा कर 8 लाख रुपए, फ़सल के नुकसान के लिए 17 हज़ार रुपए से बढ़ा कर 34 हज़ार रुपए, दुधारू पशुओं के लिए 37,500 से बढ़ा कर 75 हज़ार रुपए, क्षतिग्रस्त घर के लिए 1,20,000 रुपए से बढ़ा कर 2.40 लाख रुपए करने की माँग रखी गई है। इसी तरह और भी कई तरह के हुए नुकसान के लिए मुआवज़ा राशि बढ़ाने की माँग रखी गई है। उन्होंने कहा कि राज्य  सरकार अपने लोगों की दुख की घड़ी में साथ खड़ी है और मुआवज़ा देने के लिए फंड भी है परन्तु सिर्फ़ केंद्रीय गृह मंत्रालय के नियमों के कारण वह उपयुक्त मुआवज़ा देने से असमर्थ है। इसलिए इन नियमों में बदलाव करने की ज़रूरत है। 
मीटिंग के दौरान केंद्रीय टीम के प्रमुख राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अथॉरिटी के वित्तीय सलाहकार रवीनीश कुमार ने कहा कि उनकी टीम की तरफ से कई राज्यों का दौरा किया गया और हिमाचल प्रदेश के बाद सबसे अधिक नुकसान पंजाब में हुआ है। टीम के एक अन्य मैंबर इसरो से आए फ्लड मैपिंग और साइंटिस्ट/इंजीनियर के प्रमुख डा. ए. वी. सुरेश बाबू ने कहा कि सैटेलाइट तस्वीरों के द्वारा भी स्पष्ट हुआ है कि भारी बारिश ने पंजाब में काफ़ी नुकसान किया है और अधिकतर क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित है। 
मुख्य सचिव ने बाढ़ के कारण हुए नुकसान के विवरण देते हुये बताया कि राज्य में कृषि से सम्बन्धित 605.38 करोड़ रुपए, लोक निर्माण विभाग (सड़क और इमारत) का 173.10 करोड़ रुपए, जल स्रोत का 159.36 करोड़ रुपए, शहरी बुनियादी ढांचा/ स्थानीय निकाय का 44.38 करोड़ रुपए, ग्रामीण विकास एवं पंचायत का 43.66 करोड़ रुपए, स्कूल शिक्षा का 26. 85 करोड़ रुपए, बिजली का 17.50 करोड़ रुपए, मछली पालन का 9.98 करोड़ रुपए, जल सप्लाई और सेनिटेशन का 5.66 करोड़ रुपए, स्वास्थ्य का 4.45 करोड़ रुपए और विविध 230.26 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। कुल मिलाकर 1320.59 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इस सम्बन्धी मुख्य सचिव द्वारा केंद्रीय गृह सचिव को पत्र लिख कर जानकारी दी गई थी कि राज्य में बाढ़ के कारण 19 जिलों के 1500 के करीब गाँव प्रभावित हुये हैं। फसलों के नुकसान के इलावा लोगों के जान-माल का नुकसान भी हुआ है। 
मीटिंग में केंद्रीय टीम में शामिल कृषि और किसान कल्याण के डायरैक्टर बी. के. श्रीवास्तवा, ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंडर सचिव कैलाश कुमार, केंद्रीय जल आयोग के डायरैक्टर अशोक कुमार, वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग की सहायक डायरैक्टर अंजलि मौर्य और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग से नवीन कुमार चौरसिया के इलावा पंजाब की तरफ से विशेष मुख्य सचिव राजस्व के. ए. पी. सिन्हा, प्रमुख सचिव जल सप्लाई और सेनिटेशन डी. के. तिवारी, प्रमुख सचिव बिजली तेजवीर सिंह, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य वी. पी. सिंह, प्रमुख सचिव जल स्रोत कृष्ण कुमार और प्रमुख सचिव लोक निर्माण नीलकंठ अवध भी उपस्थित थे। 

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