पंजाब

लुधियाना गैस हादसा : सीवरेज से जहरीली गैस के बहाव से हुआ बड़ा हादसा डी.सी. लुधियाना ने पंजाब सरकार को सौंपी 2 पन्नों की रिपोर्ट

लुधियाना गैस हादसा : सीवरेज से जहरीली गैस के बहाव से हुआ बड़ा हादसा

डी.सी. लुधियाना ने पंजाब सरकार को सौंपी 2 पन्नों की रिपोर्ट

हवा में पाई गई कार्बन मोनोआक्साइड व हाइड्रोजन सल्फाइड
चंडीगढ़, 4 मई : लुधियाना के ग्यासपुरा क्षेत्र में गैस के बहाव से 11 लोगों की हुई मौत के मामले में लुधियाना की डिप्टी कमिश्नर सुरभि मलिक ने राजस्व विभाग के वित्तायुक्त के.ए.पी. सिन्हा को 2 पन्नों की रिपोर्ट बीरवार को सौंप दी है। 2 पन्नों की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि यह हादसा किसी फैक्टरी की गैस लीक होने से नहीं, बल्कि सीवरेज की जहरीली गैस लीक होने से हुआ है। सीवरेज में कार्बन मोनोआॅक्साइड गैस की अधिकता के चलते यह गैस किसी टॉयलेट के जरिये लीक हो गई। इसके चलते लोगों का दम घुटने से मौत हो गई। यह हादसा इतना दर्दनाक था कि एक 8 माह के बच्चे को अपने माता-पिता को खोना पड़ा है। सूत्रों का कहना है कि डी.सी. रिपोर्ट में कहा है कि जांच में सामने आया कि हवा में कार्बन मोनोआॅक्साइड व हाइड्रो सल्फाइड की भारी मात्रा पाई गई थी। गैस रिसाव के मामले में शुरू से ही क्यास लगाए जा रहे थे कि यह गैस सीवरेज से लीक हुई है। लेकिन अब डी.सी. की रिपोर्ट में इस पर मोहर लगा दी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीवरेज के जरिये कार्बन मोनोआॅक्साइड व हाइड्रो सल्फाइड गैस फैल गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह क्षेत्र हवादार नहीं था। रिपोर्ट में कहा गया कि विशेषज्ञ समिति ने एच 2 इसमें नार्मल पाया है। सीवरेज की गैस में कार्बन मोनोआक्साइड व हाइड्रोजन सल्फाइड पाए गए है। कार्बन मोनोआॅक्साइड लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है। कार्बन मोनोआॅक्साइड की अधिकता वाले वातावरण में सांस लेने से शरीर में आॅक्सीजन की मात्रा कम हो जाती हैं। इसके कारण महत्वपूर्ण अंग, जैसे कि मस्तिष्क, तंत्रिका ऊतक और हृदय को ठीक से काम करने के लिए पर्याप्त आॅक्सीजन नहीं मिल पाती है। इस गैस के संपर्क में आने के बाद मितली और चक्कर आने लगता है। कार्बन मोनोआॅक्साइड सूंघने से हीमोग्लोबिन मॉलिक्यूल ब्लॉक हो जाते हैं और शरीर का पूरा आॅक्सीजन ट्रांसपोर्ट सिस्टम प्रभावित हो जाता है।
हाइड्रोजन सल्फाइड का उपयोग कई उद्योगों में किया जाता है और यह तेल शोधन, खनन, कमाना, लकड़ी की लुगदी प्रसंस्करण, खाद्य प्रसंस्करण, शिल्प कागज उत्पादन और रेयान निर्माण सहित कई औद्योगिक प्रक्रियाओं का उप-उत्पाद है।
दरअसल ग्यासपुरा के जिस इलाके में यह घटना हुई है, उसके आस-पास के क्षेत्र में साइकिल पार्ट्स, नट बोल्ट व कई ऐसी फैक्टिरयां हैं, जहां आॅटो पार्ट्स को निक्कल करने का काम होता है। इलैक्ट्रो प्लेट्स के इस काम में कई कैमिकलों का इस्तेमाल होता है। इन कमिकलों का इस्तेमाल करने के बाद इसे सीवरेज में डाल दिया जाता है, क्योंकि यह बेहद खतरनाक है। कैमीकल को जब सीवरेज में डाला गया तो उसके बाद खतरनाक गैस का रूप ले लिया। जो प्रभावित इलाकों में सीवरेज के जरिये निकलना शुरू हो गया।
एन.जी.टी. ने परिवारों को 20-20 लाख रुपए देने के दिए आदेश
गैस लीक होने के चलते जो 11 लोग मारे गए हैं, उनके परिवारों को 20-20 लाख रुपए देने के लिए नैशनल ग्रीन ट्र्ब्यिूनल ने पंजाब सरकार को आदेश दिए हैं कि पंजाब सरकार की ओर से 2-2 लाख रुपए दिए जा चुके हैं और 18-18 लाख रुपए अभी दिए जाने बाकी हैं। इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गहरा दुख व्यक्त किया था। अब पंजाब सरकार ने प्रधानमंत्री राहत फंड से भी इन लोगों को वित्तीय सहायता दिलाने के लिए भी कार्रवाई शुरू कर दी है। ताकि इनको और भी वित्तीय सहायता दी जा सके।
यह हादसा होने के बाद पंजाब सरकार ने मैजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे। जिसके बाद डी.सी. सुरभि मलिक ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है।
एन.जी.टी. टीम भी करेगी जांच
डी.सी. ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विशेष माहिरों से इस हादसे की जांच करवाई गई है, जिसके आधार पर यह रिपोर्ट पंजाब सरकार को भेजी गई है। इसके अलावा नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की टीम भी अलग तौर पर इस हादसे की जांच करेगी, जिससे और भी तथ्य सामने आएंगे।

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