पंजाब

5 साल बाद खुली रिपोर्ट्स में न किसी राजनेता का नाम, न पुलिस अधिकारी न कोई रसूखदार

Drugs मामले में हाईकोर्ट द्वारा ओपन की गई रिपोर्ट्स में क्या जाने...

Drugs मामले में हाईकोर्ट द्वारा ओपन की गई रिपोर्ट्स में क्या जाने…

 

5 साल बाद खुली रिपोर्ट्स में न किसी राजनेता का नाम, न पुलिस अधिकारी न कोई रसूखदार

पंजाब के हजारों करोड़ के ड्रग रैकेट और तस्करों को लेकर खामोश हैं पूरी रिपोर्ट

पूरी की पूरी रिपोर्ट्स बर्खास्त इंस्पेक्टर इंदरजीत सिंह और मोगा के तत्कालीन एसएसपी राजजीत सिंह हुंदल पर

Update Punjab Desk:

 

पंजाब के हजारों करोड़ रूपए के ड्रग रैकेट के मामले में आखिरकार 5 सालों बाद हाईकोर्ट में रखी जांच की सीलबंद रिपोर्ट्स ओपन हो गई हैं।

2018 से हाईकोर्ट में रखी इन सीलबंद रिपोर्ट्स को ओपन किए जाने को लेकर पुरे पंजाब में पिछले पांच सालों से राजनीती की जा रही थी। पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू इन रिपोर्ट्स को ओपन करने के लिए लगातार tweets कर रहे थे, लेकिन अब जब यह रिपोर्ट्स ओपन हो गई हैं तो किसी एक भी सियासतदान का कोई बयान तक इन रिपोर्ट्स पर नहीं आया है, और ना ही आएगा। इसका एक बड़ा कारण यह है की यह रिपोर्ट किसी भी राजनैतिक दल को कोई राजनैतिक फायदा पहुंचती नजर नहीं आ रही हैं

पूरी रिपोर्ट में बर्खास्त इंस्पेक्टर इंदरजीत सिंह और मोगा के तत्कालीन एसएसपी राजजीत सिंह हुंदल को छोड़ दिया जाए तो इन दोनों के अलावा इस रिपोर्ट में किसी भी राजनेता, अधिकारी या किसी रसूखदार का नाम तक नहीं है। इतना ही नहीं इन दोनों को भी किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया गया, बल्कि इनके मामले की आगे जांच की शिफारिश भर ही की गई है। साफ़ है की पांच सालों बाद भी पंजाब के ड्रग रैकेट पर को खुलासा नहीं हो पाया है।

 

अब यह भी बता दें कि जिसे 3 रिपोर्ट्स कहा जा रहा है, वह दरअसल एक ही रिपोर्ट है और सिर्फ एक ही मामले की रिपोर्ट है, जिसे पहली और दूसरी रिपोर्ट बताया गया है, वह महज स्टेटस रिपोर्ट्स भर हैं, लेकिन जो तीसरी रिपोर्ट है वह अंतिम रिपोर्ट है और इसी अंतिम रिपोर्ट में पूरी कहानी है।

 

फाइनल रिपोर्ट के 11पन्नों में ही है पूरी कहानी।

-फाइनल रिपोर्ट सिर्फ और सिर्फ तत्कालीन एसएसपी राजजीत सिंह के इर्द गिर्द ही घूमती है।

-जून 2018 में इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह की गिरफ्तारी के बाद यह कहानी शुरू होती है।

आरोप लगाए जाते हैं कि इंदरजीत सिंह के तत्कालीन एसएसपी मोगा राजजीत सिंह से करीबी सम्बन्ध हैं। इसके बाद जांच की आंच राजजीत सिंह तक पहुंच जाती है।

मामला हाईकोर्ट पहुंचता है तो हाईकोर्ट 2017 में पूर्व डीजीपी सिदार्थ चटोपाद्याय, एडीजीपी परबोध कुमार और कुंवर विजय प्रताप की एक एसआईटी बना जांच के आदेश दे दिए जाते हैं।

 

यह एसआईटी 1 फरवरी 2018, 15 मार्च 2018 में स्टेटस रिपोर्ट फिर 23 मई 2018 में इस पुरे मामले की जांच  फाइनल रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में हाईकोर्ट को सौंप देती है।

 

पांच सालों बाद अब जब यह सीलबंद रिपोर्ट ओपन हुई हैं तो इसमें राजजीत सिंह के बारे में कहा गया है की 2013 के बाद से उसकी प्रॉपर्टी में काफी इजाफा हुआ है। जालंधर के कारोबारी गुरदीप सिंह उर्फ देव बाठ से उसके नजदीकी रिश्ते है। इनकी जांच होनी चाहिए।

 

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि राजजीत सिंह की मोहाली और न्यू चंडीगढ़ में प्रॉपर्टी है।

आईटी डिपार्टमेंट से मिली जानकारी के मुताबिक इको सिटी में राजजीत सिंह का एक रिहाइशी प्लाट है, जिसकी सेल डीड 20 लाख रूपए है लेकिन उसकी कीमत डेढ़ करोड़ है।

 

इसी तरह मोहाली के सेक्टर 82 में एक Industrial प्लॉट की कीमत करोड़ 18 लाख बताई गई थी, जबकि इसकी कीमत 1 करोड़ 55 लाख थी।

 

जबकि रिपोर्ट में यह भी कह दिया गया है कि राजजीत सिंह ने इसके खिलाफ रिप्रजेंटेशन दे अपनी सफाई भी दे दी थी कि यह सब लोन/गिफ्ट के जरिए हासिल की गई है।

 

रिपोर्ट पूरे मामले में किसी को भी आरोपी या दोषी नहीं बता रही है,

पूरी रिपोर्ट में बार-बार सिर्फ यही कहा गया है की इनके बारे में आगे जांच यहां पूछताछ की जानी चाहिए।

 

यह बताया जा रहा था की इस रिपोर्ट में पंजाब के ड्रग रैकेट में शामिल पुलिस अधिकारियों के नाम हैं तो ऐसा इस रिपोर्ट में कहीं भी नजर नहीं आ रहा है।

पूरी की पूरी रिपोर्ट बर्खास्त इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह और तत्कालीन मोगा के एसएसपी राज जीत सिंह हुंदल के इर्द-गिर्द ही घूम रही है।

 

राज जीत सिंह की कई प्रॉपर्टी का जिक्र इस रिपोर्ट में जरूर है लेकिन साथ ही रिपोर्ट इस पूरी प्रॉपर्टी कि आगे जांच की बात कर रही है, कहीं भी इस प्रॉपर्टी पर है रिपोर्ट्स सवाल नहीं खड़े कर रही। इन रिपोर्ट्स में सिर्फ इस पूरे मामले की आगे जांच किए जाने का ही जिक्र किया गया है।

काबिलेगौर है कि 2018 में हाईकोर्ट ने जब यह एसआईटी बनाई थी तब इस एसआईटी को महत्वपूर्ण मामले जैसे कि पाकिस्तान के जरिए भारत में की जा रही ड्रग स्मगलिंग और यहां के ड्रग तस्करों की जांच सहित जो अधिकारी ड्रग्स मामले में नामजद हुए हैं या जिन पर एक्सटॉर्शन के केस दर्ज हैं उनकी जांच भी करनी थी

लेकिन एसआईटी ने से किसी भी मामले को छोड़ सिर्फ और सिर्फ अपना फोकस बर्खास्त इंस्पेक्टर इंदरजीत सिंह और तत्कालीन एसएसपी राज जीत सिंह हुंदल की जांच पर ही किया है  और अन्य किसी भी मामले की जांच का इस रिपोर्ट में कोई जिक्र नहीं है।

इस पुरे मामले में जो सबसे बड़े हैरत की बात है वो यह कि पूरी जांच राजजीत सिंह के खिलाफ की गई है और राजजीत सिंह कि वह पहला शख्स है जिसने सबसे पहले इन रिपोर्ट्स को ओपन करने की मांग की थी और वो भी 2018 में, तब तक इन रिपोर्ट्स को ओपन किए जाने की किसी की तरफ से कोई मांग ही नहीं की गई थी।

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