चंडीगढ़

पुलिस वाला चोर: क्राइम ब्रांच ने चंडीगढ़ पुलिस के मौजूदा कांस्टेबल साहित चार को चोरी की स्विफ्ट गाड़ी पर जाली नंबर लगाने के आरोप में किया गिरफ्तार, सभी जेल भेजे

 

सिक्योरिटी विंग में तैनात था कांस्टेबल कुलदीप..साथी संग चुराई थी स्विफ्ट डिजायर गाड़ी

 

चंडीगढ़, 20 जनवरी: चंडीगढ़ पुलिस का स्लोगन है, ‘वी केयर फॉर यू’ यानि हम आपकी सेवा में है, लेकिन चंडीगढ़ पुलिस में तैनात एक ऐसा सिपाही था, जो सेवा तो दूर लोगों की गाड़ियां तक चुराने लग गया। कानून तो सबके लिए बराबर है जिसके चलते क्राइम ब्रांच की टीम ने उस मौजूदा सिपाही सहित चार लोगों को चोरी की स्विफ्ट गाड़ी सहित गिरफ्तार कर लिया। इन चारों की पहचान चंडीगढ़ पुलिस के सिक्योरिटी विंग में तैनात कांस्टेबल कुलदीप 6450/सीपी, मुल्लांपुर के गांव पड़छ निवासी अमित कुमार (30), पानीपत की जगजीवन राम कालोनी निवासी प्रकाश उर्फ पिंटू (30) व फरिदाबाद के सेहतपुर निवासी इंतेजार हुसैन (33) के रूप में हुई है। चारों आरोपियों को क्राइम ब्रांच की टीम ने कोर्ट में पेश किया। जहां अदालत ने सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

क्या है पूरा मामला: क्राइम ब्रांच की टीम 10 जनवरी को शहर में पेट्रोलिंग कर रही थी। इसी दौरान पुलिस को गुप्ता सूचना मिली कि चोरी की गाड़ी पर एक शख्स सैक्टर-15 में घूम रहा है और वह अंडर ब्रिज से होते हुए सैक्टर-11 की तरफ आएगा। सूचना मिलने के बाद पुलिस ने एक टीम बनाई जिसके बाद पुलिस ने स्विफ्ट डिजायर गाड़ी नंबर-यूके-01एपी-5176 के चालक को रोक लिया। पुलिस ने जब उससे गाड़ी के कागजात मांगे, तो वह टाल मटोल करने लगा। सख्ती से पूछताछ के बाद खुलासा हुआ कि उसने गाड़ी पर फर्जी नंबर लगाया हुआ था। गाड़ी का असली नंबर-पीबी-01बी-2996 है, जो गाड़ी खरड़ के देसू माजरा स्थित मां शिमला होम्स निवासी सचिन छाबड़ा के नाम पर रजिस्टर्ड है। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ सैक्टर-11 थाने में केस दर्ज करवाकर उसका कोर्ट से पुलिस रिमांड हासिल किया।

कांस्टेबल कैसे पकड़ा गया ? सूत्रों की मानें तो पुलिस रिमांड के दौरान अमित ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उसने चंडीगढ़ पुलिस की सिक्योरिटी विंग में तैनात कांस्टेबल कुलदीप के साथ मिलकर यह गाड़ी सैक्टर-20 नवंबर-2022 को सैक्टर-34 थाने के एरिया से चुराई थी। बकायदा थाने में ईएफआईआर के जरिए केस भी दर्ज था। पुलिस ने जब उससे फर्जी नंबर लगाने के बारे में पूछा तो उसने कहा कि अगर वह असली नंबर लगाकर रखता तो चालान होते ही गाड़ी के असली मालिक को पता चलता। इसी डर के चलते उसने गाड़ी में फर्जी नंबर लगाया ताकि वह पकड़ा न जा सके। कांस्टेबल कुलदीप का नाम सामने आने पर क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे इंवेस्टीगेशन ज्वाइन करने के लिए बुलया। जहां पूछताछ के दौरान उसने चोरी की वारदात कबूली, जिसके बाद क्राइम ब्रांच ने उसे भी गिरफ्तार किया।

बाकी दोनों की क्या थी भूमिका? क्राइम ब्रांच की इंवेस्टगेशन में सामने आया कि आरोपी इंतेजार हुसैन व प्रकाश उर्फ पिंटू को अमित व पुलिस मुलाजिम कुलदीप ने गाड़ी चोरी करने के बाद संपर्क किया था। इन दोनों ने ही जाली नंबर प्लेट बनवाकर उन्हें दी थी। सूत्रों की मानें तो अभी गाड़ी अमित के पास से मिली है, लेकिन अमित व कांस्टेबल कुलदीप बारी-बारी गाड़ी इस्तेमाल करते थे। और तो और चोरी भी दोनों ने इकट्ठे ही की। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि अगर पुलिस नाकाबंदी पर कोई कांस्टेबल कुलदीप को रोक भी लेता था, तो वह मुलाजिम कहकर वहां से निकल जाता था, लेकिन क्राइम ब्रांच को उसके बारे में अहम जानकारी मिली, जिसके चल

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