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1 करोड़ से ज्यादा के सैलरी घोटाले में दो एएसआई व दो हवलदार गिरफ्तार, पहले 9 पुलिस वाले हो चुके गिरफ्तार

1 करोड़ से ज्यादा के सैलरी घोटाले में दो एएसआई व दो हवलदार गिरफ्तार, पहले 9 पुलिस वाले हो चुके गिरफ्तार

चंडीगढ़, 24 नवंबर

चंडीगढ़ पुलिस ने 1 करोड़ से ज्यादा के सैलरी घोटाले में क्राइम ब्रांच की टीम ने दो एएसआई व दो हवलदारों को गिरफ्तार किया। यह घोटाला 2020 में सामने आया था। चारों आरोपियों को पुलिस ने कोर्ट ने पेश किया, जहां से अदालत ने चारों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इस मामले में इन चारों से पहले 9 पुलिसकर्मी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। अब कुल 13 पुलिसकर्मी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

अब पकड़े गए चारों पुलिसकर्मियों की पहचान एएसआई मोहन सिंह, एएसआई कृष्ण कुमार, हवलदार अलविंदर सिंह और हवलदार मुकेश कुमार के रूप में हुई है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह चारों आरोपी उन 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों में शामिल थे जिन्हें सैलरी घोटाले में लाभ मिला था। सूत्र बताते हैं कि इन पुलिस मुलाजिमों को इस घोटाले में प्रत्येक को 5 से 7 लाख रुपये का फायदा हुआ था। बीते अक्तूबर में एक पूर्व सीनियर कांस्टेबल नाभा साहिब, पटियाला निवासी 53 वर्षीय जसबीर सिंह गिरफ्तार हुआ था। उसने वीआरएस ले ली थी। सेक्टर-3 थाना पुलिस ने 25 फरवरी 2020 को इस मामले में आईपीसी की धारा 201, 409, 420, 467, 468, 471, 477ए, 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

दरअसल, कागजों में घपलाबाजी कर कुछ पुलिसकर्मियों के खातों में ज्यादा तनख्वाह डालकर इस घोटाले को अंजाम दिया गया था। पुलिस विभाग के खाता विभाग में कार्यरत मुलाजिमों के सहयोग से यह फर्जीवाड़ा किया गया। इससे सरकारी राजकोष को भारी नुकसान हुआ था। पुलिस ने इस मामले में इसी वर्ष अप्रैल माह में एएसआई विनोद कुमार और कांस्टेबल राजबीर सिंह के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की थी। इससे पहले तीन चार्जशीट और दायर की जा चुकीं हैं। लगभग 1.1 करोड़ रुपये के इस सैलरी घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। आरोपियों में बलविंदर कुमार, हवलदार नरेश कुमार, वरिंदर कुमार व कांस्टेबल सविंदर आदि शामिल थे। वर्ष 2020 में एक अज्ञात शिकायत मिलने के बाद इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था। जांच में खुलासा हुआ था कि दिसंबर 2019 के वेतन में लगभग 35 खातों में तय वेतन से ज्यादा पैसे डाले गए थे। इस खुलासे के बाद क्राइम ब्रांच को मामले की जांच सौंपी गई थी और कैग द्वारा वर्ष 2015 से 2020 का विशेष ऑडिट किया गया था। इसमें 1.1 करोड़ रुपये का घपला सामने आया था।

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