दिन भर दिन खाकी होती जा रही दागदार: डेढ़ माह में एक एडीशनल एसएचओ सहित 13 पुलिसकर्मियों पर एफआईआर, 1 इंस्पैक्टर शक के घेरे में
इन सभी पुलिसकर्मियों से एडिशनल एसएचओ सहित 3 पुलिसकर्मियों को तो एसएसपी यूटी ने डिसमिस कर दिया था
चंडीगढ़: चंडीगढ़ पुलिस का इन दिनों काम पर कोई ध्यान नहीं है। ध्यान है तो सिर्फ दो नंबर के पैसे कमाने का। कई पुलिसकर्मी शराब की तस्करी कर रहे हैं, कोई करोड़ रुपए लूट रहे हैं तो कई लोगों से जबरन वसूली में लगे हैं। पिछले डेढ़ माह में एक एडीशनल एसएचओ, दो एएसआई समेत 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ विजिलैंस विभाग, हरियाणा पुलिस विभाग व सीबीआई व चंडीगढ़ पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई है जबकि ऑपरेशन सेल के पूर्व इंस्पैक्टर हरिन्द्र सिंह सेखों सात लाख की रिश्वत के मामले में शक के घेरे में है। उनके खिलाफ सीबीआई की तफ्तीश जारी है। इन 10 पुलिसकर्मियों में से एक एडीशनल एसएचओ सहित तीन पुलिसकर्मी तो ऐसे हैं जिन्हें पुलिस विभाग ने नौकरी से निकाल तक दिया। हालांकि इन पुलिसकर्मियों के अलावा पुलिस विभाग को कई और पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायतें तो मिली, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई के बजाए सिर्फ उनकी ट्रांसफर की है। बाकी पुलिस अधिकारियों की तरफ से पुलिसकर्मियों को सख्त हिदायतें दी गई हैं कि अगर किसी भी पुलिसकर्मी ने कोई गलत कारनामा किया तो उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जानें कौन से केस व कौन से पुलिसकर्मी पर हुई एफआईआर
15 जून: रिश्वत लेकर सम्मन पहुंचाने के मामले में विजिलैंस ने पीओ सेल के तत्कालीन एएसआई अशोक मलिक, रिटायर्ड एएसआई पूरन, कांस्टेबल दलबीर, कांस्टेबल राहुल, कांस्टेबल सुनील व कांस्टेबल कृष्ण के खिलाफ केस दर्ज किया था।
22 जून: गुजरात में अवैध शराब की तस्करी करने जा रहे कांस्टेबल अनिल व कांस्टेबल रविन्द्र सिंह को नारनौल पुलिस ने 256 पेटियों सहित गिरफ्तार किया था। दोनों के खिलाफ नारनौल पुलिस ने आईपीसी की धारा 420,465,467,468,471,474,476,482,483,120-बी व एक्साइज एक्ट-61 के तहत केस दर्ज किया था। इन दोनों को यूटी एसएसपी कंवरदीप कौर ने बाद में विभाग से डिसमिस कर दिया था।
23 जून: सैक्टर-29 स्थित सिक्योरिटी विंग में तैनात शादीशुदा कांस्टेबल तुलसी दास पर अपनी ही रिश्तेदार को शादी का झांसा देकर किडनैप कर बलात्कार करने के आरोप लगे थे। इस संबंध में रेवाडी पुलिस स्टेशन में 23 जून को उसके खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया था।
25 जुलाई: ऑपरेशन सेल में तैनात कांस्टेबल बलविन्द्र ने नशे की हालत में मौली जागरां थाने के सिपाही अजरुन को थप्पड़ जड़ दिया जिसके चलते पुलिस विभाग न उसे सस्पैंड कर दिया था। बलविन्द्र के खिलाफ शराब में धुत होने का मैडिकल में भी आया गया था, लेकिन पुलिस ने सिर्फ सस्पैंड ही किया जबकि अजरुन की शिकायत पर डीडीआर दर्ज की गई थी।
31 जुलाई: पीसीआर में तैनात हवलदार पवन, प्राइवेट पर्सन पूर्व डिप्टी मेयर अनिल दुबे के भाई मनीष उर्फ बब्लू व अनिल गोयल उर्फ कुकी के खिलाफ रिश्वत का केस दर्ज किया था। इस केस में ऑपरेशन सेल के पूर्व इंस्पैक्टर हरिन्द्र सिंह पर भी रिश्वत मांगने का आरोप है, जिसके चलते वह शक के घेरे में हैं। सीबीआई की ओर से सेखों से लगातार पूछताछ की जा रही है। सीबीआई की ओर से हवलदार पवन के साथी कांस्टेबल अनिल को भी इस केस में पेश होने का नोटिस दिया हुआ है, लेकिन वह तीन दिन के मैडिकल रेस्ट पर विभाग से छुट्टी लेकर गया हुआ है।
4 अगस्त: बठिंडा के संजय गोयल 1 करोड़ 1 लाख रुपए के 500-500 के नोट किसी को देने के लिए चंडीगढ़ आए थे। बदले में उनको 2-2 हजार के नोट दिए जाने थे, लेकिन सैक्टर-39 थाने के एडीशनल एसचओ नवीन फौगाट सहित दो और पुलिसकर्मियों ने सैक्टर-40 की मार्किट से उनके 1 करोड 1 लाख रुपए लूट लिए। जब शिकायतकर्ता ने शिकायत देनी चाही तो फौगाट ने उसको 84 लाख वापिस मोड़ दिए। घर जाकर जब संजय ने नोट गिने तो 75 लाख की निकले जिसके चलते चंडीगढ़ की एसएसपी को उन्होंने शिकायत दी। शिकायत के आधार पर सैक्टर-39 थाने में नवीन फौगाट सहित 8 के करीब लोगों पर केस दर्ज किया गया और एसएसपी ने उसे नौकरी से निकालते उसे डिसमिस कर दिया। नवीन फौगाट पहले भी बलात्कार के केस में विभाग से डिसमिस हुआ था, लेकिन एक उच्च अधिकारी ने उसे एक बड़ी सिफारिश के कारण बहाल कर दिया था और तो और पांच साल बाद बहाल होने के बाद उसे सीधा एडीशनल एसएचओ की पोस्टिंग तक दे दी गई। इससे साफ जाहिर है कि कई बड़ी मुर्गियां भी उसे बहाल करने में साथ मिली हुई थी।
सभी एसएचओ व पुलिसकर्मियों को सख्त हिदायतें दे दी गई कि अपनी-अपनी डय़ूटी ईमानदारी से करें। अगर किसी के बारे में कोई शिकयत मिलती है या फिर पुलिस को किसी के बारे कुछ पता चलता है तो उसे बिल्कुल भी बख्शा नहीं जाएगा।
-कंवरदीप कौर, एसएसपी यूटी