Big Breaking : हाईकोर्ट में पंजाब के 3 पूर्व DGP की जंग हुई शुरू
ड्रग्स मामले में सीलबंद चौथी रिपोर्ट खोली जाए या नहीं, इस पर छिड़ी है सिद्धार्थ चटोपाध्याय, दिनकर गुप्ता और सुरेश अरोड़ा इन तीनों DGP में जंग
पंजाब के ड्रग रैकेट मामले में हाईकोर्ट ने जो संज्ञान लिया हुआ है, उस मामले की आज हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एक बार फिर पंजाब के तीन पूर्व DGP एक दूसरे के सामने नजर आए। असल में पूर्व DGP सिद्धार्थ चटोपाध्याय के खिलाफ दो DGP सुरेश अरोड़ा और दिनकर गुप्ता हैं।
पूरा मामला पंजाब के ड्रग रैकेट मामले की जांच कर तत्कालीन DGP सिद्धार्थ चटोपाध्याय की 3 सदस्यों की SIT ने मई 2018 में जो चार सीलबंद रिपोर्ट्स सौंपी थी, उनसे जुड़ा है। मई 2018 से यह सीलबंद रिपोर्ट्स हाईकोर्ट में में रखी रही, इन पर प्रत्येक राजनैतिक दल ने पूरी राजनीति की और आखिरकार इस साल 28 मई को हाईकोर्ट ने इन चार में से तीन रिपोर्ट्स ओपन कर इन पर करवाई किए जाने के सरकार को आदेश दे दिए थे।
सरकार इन तीन रिपोर्ट्स पर करवाई कर पूर्व SSP राजजीत हुंदल के खिलाफ मामला दर्ज कर बर्खास्त कर दिया था।
लेकिन हाईकोर्ट ने तब चौथी रिपोर्ट्स खोलने से इंकार कर दिया था, क्योंकि यह चौथी रिपोर्ट सिद्धार्थ चटोपाध्याय ने अकेले अपने स्तर पर ही दे दी थी, इस रिपोर्ट पर SIT के बाकी दो सदस्य के हस्ताक्षर ही नहीं थे।
तब हाईकोर्ट ने कहा था कि इस चौथी रिपोर्ट को ओपन करने से पहले वह DGP सुरेश अरोड़ा और DGP दिनकर गुप्ता का पक्ष सुनना चाहते हैं। क्योंकि सिद्धार्थ चटोपाध्याय ने अपनी चौथी रिपोर्ट में सुरेश अरोड़ा और दिनकर गुप्ता पर सवाल उठाए थे।
शुक्रवार को सुरेश अरोड़ा और दिनकर गुप्ता ने सिद्धार्थ चटोपाध्याय की इस चौथी रिपोर्ट पर कई सवाल खड़े कर दिए और कहा की यह चौथी रिपोर्ट सिरे से रद्द की जाए क्योंकि इस रिपोर्ट में हाईकोर्ट ने जो 3 सदस्यों की SIT बनाई थी, उसमे से 2 सदस्यों ने इस रिपोर्ट पर साइन तक नहीं किए हैं। वहीं सिद्धार्थ चटोपाध्याय की मांग है की यह चौथी रिपोर्ट भी ओपन की जाए और इस रिपोर्ट पर आगे की जांच CBI को सौंप दी जाए।
आज हाईकोर्ट ने तीनों DGP का पक्ष सुनने के बाद सुनवाई सोमवार 17 जुलाई तक स्थगित कर दी है। वहीं हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से जानकारी मांगी है कि 2018 में इंद्रजीत चड्ढा की आत्महत्या के मामले में अगर सिद्धार्थ चटोपाध्याय के खिलाफ जांच में कुछ सामने आया था तो उसकी जानकारी दी जाए। काबिलेगौर है की इस मामले में सिद्धार्थ चटोपाध्याय के खिलाफ की जा रही जांच पर हाईकोर्ट ने 2018 में रोक लगा दी थी।