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नवांशहर प्रदूषण विरोध विशेष , प्रदूषण विरोध : लोक जागरुकता जरुरी क्यों?
कोई भी पसंद नहीं करता प्रदूषण ; चाहे यह सिगरेट के धुएं से भरा कमरा है या फैक्ट्री प्रदूषण से ग्रस्त शहर। हम सभी शांत, स्वच्छ हवा में सांस लेना पसंद करेंगे। चाहे उद्योग हमारी आर्थिक व्यवस्था का जीवन है, फिर भी कारखाने और बिजली-संयंत्रों की धुआँ उगलती चिमनियां जो हवा में हमारा गला दबाती हैं, को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
फोटो 3 कैप्शन : एल्क्ट्रोस्टेटिक स्मोक प्रेसिपिटेटर ऑपरेशन
फ़ोटो. कैपशन: मुददे पर विचार करते ईलाके के प्रदूषण से चिन्तित वरिष्ठ नागरिक
प्रिवेंटिव तथा इम्प्रूवमेंट मेंटेनेंस प्लांट चालू करने से पहले हो : अश्वनी जोशी
नवांशहर : प्रदूषण का ज्ञान और कहर इस कदर बढ़ चुका है कि अब आम नागरिक ने भी इसके विरुद्ध आवाज़ उठानी शुरू कर दी है। फिर से इसकी उदाहरण हाल ही के दिनों में नवांशहर में देखने को मिली।
शुगर मिल्ल के परिसर से जब कालिख के प्रदूषण से नवांशहर के साथ-साथ आस-पास के गांव भी प्रभावित रहे तो इस मुद्दे को लेकर जनता में आक्रोश होना स्व्भाविक है। शुगर मिल्ल के परिसर से कालिख के प्रदूषण का इतिहास रहा है। जब वर्ष 2017 में यह कालिख हद पार कर गई थी तब भी शहर में हंगामा हुआ था। उस वक्त भी पर्यावरणविद इंज. अशवनी जोशी ने पलांट के अधिकारीयों से बात कर मौके पर की जांच में प्लांट के पारदर्शी प्रदूषण नियंत्रण में काफी खामियां बताई थी। बता दें कि नवांशहर के समाजसेवी अशवनी जोशी यूरोपियन स्तर के इनर्ट गैस जनरेशन प्लांट, बॉयलरज ऑपरेशन, और स्मोक सकरबर्र के भी माहिर हैं। जोशी ने पाया था कि प्रदूषण लागबुक रिकार्ड व नाइट विजन कैमरा रिकार्डिंग, प्रदूषण बोर्ड परमिशन न होना आदि की कमियां शामिल थी। इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोलर , इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर की एफ्फिसेंसी पर भी सवाल उठाया था। एस.पी.एम. मीटर <ससपैनडड पार्टिकुलेट मैटर मॉनिटर डिवाइस > न लगाने का कारण भी पूछा था। तो जवाब मिला था कि अभी नहीं लगाया गया है। जबकि वह आधुनिक प्रदूषण नियंत्रण का एक जरूरी हिस्सा है। इंजीनियर अश्विनी जोशी जो खुद विदेशी पोलियूशन कंट्रोल इंस्ट्रूमेंटस के मैरीन एक्सपर्ट भी हैं ने एस.पी.एम. मीटर न लगाने के मुद्दे पर तब व्यंग्यात्मक लहजे में कहा था कि पतलून पहनने से पहले जिप सिलवाई जाती है ना कि पहनने के बाद। तब अधिकारिओं ने बताया था कि हम इसे भी जल्दी ही लगवा लेंगे और आश्वासन दिया था कि अब दुबारा ऐसा प्रदूषण ना होने का पूरा प्रयास रखेंगे। इसके बाद कुछ समय के लिए ठीक चला।
अब इस बार फिर जब कालिख उड़ने का सिलसिला बंद नहीं हो रहा तो कुछ वरिष्ठ नागरिकों के आग्र्ह पर फिर से समाज सेवी अशवनी जोशी ने पलांटमें जाकर नवांशहर सह- उत्पादन पॉवर प्लांट वाइस प्रेजिडेंट बंदूउपाध्या और तकनीकी अधिकारिओं से समस्या की बात की। प्लांट मेंटेनेंस इंचार्ज गौरव सूरी के साथ प्लांट की विस्तृत जानकारी ली।
फिर से मिली काफी तकनीकी खामियां
एल्क्ट्रोस्टेटिक स्मोक प्रेसिपिटेटर की नियमत मेंटेनेंस में कमी है। इसकी नियमत इलेक्ट्रॉनिक ट्यूनिंग होनी चाहिए। सही हाई वोल्टेज निश्चित होना चाहिए। इसके इलेक्ट्रोड पुराने हो चुके हैं और समय के साथ क्षमता कम हो जाती है। स्मोक सकरबर्रको बेहतर बनाने की जरूरत है, उसमें अतिरिक्त रिफ्लेक्टर प्लेट मैश या फिन्ज लगाने से स्मोक वाशिंग बेहतर हो सकेगी। वाटर सरकुलेशन और जेट स्प्रे प्रेशर बेहतर रखना चाहिए।
अधिकारी आये हरकत में – एक सप्ताह में होगा पूरा सुधार
इस दौरान नवांशहर सह- उत्पादन पॉवर प्लांट वाइस प्रेजिडेंट बंदूउपाध्या ने बताया कि वे जल्दी ही बाहर से इंजीनियर बुला कर एल्क्ट्रोस्टेटिक स्मोक प्रेसिपिटेटर की बेहतर फ़ाईन ट्यूनिंग करवाऐंगे और उन्हें आशा है कि इस प्रदूषण को रोकने के इंतजाम कर सकेंगे। उन्होंने आश्वाशन दिया कि वे प्रेसिपिटेटर के हाई वोल्टेज रेक्टीफायर के लिए नया इलक्ट्रोनिक कंट्रोलर भी लगवा लेंगे। प्लांट मेंटेनेंस इंचार्ज गौरव सूरी ने स्मोक सकरबर्रको बेहतर बनाने की जरूरत पर सहमति प्रगट की और कहा कि एक सप्ताह में सभी तरह से बेहतर कर दिया जायेगा। जोशी का कहना है कि कुशल प्लानिंग से प्रिवेंटिव तथा इम्प्रूवमेंट मेंटेनेंस तो प्लांट चालू करने से पहले ही करनी चाहिए।
फोटो 4 कैप्शन : समाज सेवी कंवरजीत सिंह राय
शुगर मिल शहर से बाहर जानी चाहिए
राय ऑटो के प्रसिद्ध ट्रेक्टर डीलर व समाज सेवी कंवरजीत सिंह राय का कहना है कि इस प्रति सोच परिवर्तन चाहिए। आसपास की बढ़ती आबादी को देखते हुए, शुगर मिल को शिफ्ट करना ही पक्का विकल्प है। आधुनिकता के दौर में शुगर मिल की मशीनरी भी बहुत पुराणी हो चुकी है और यहाँ की शुगर की गुणवत्ता भी काफी नीचे के स्तर की है।
प्लांट मेंटेनेंस के लिए प्लांट बंद करने में आती अतिरिक्त समस्याएं
गन्ने का सीजन चल रहा है। प्लांट बंद करने से किसानों के गन्ने को रोकना पड़ता है जिससे किसानो को परेशानी होती है। इसलिए प्लांट मेंटेनेंस और ऑपरेशन में तकनिकी बैलेंस रखना भी जरूरी है। मगर आम जनता का स्वस्थ और सुविधा भी नजर अंदाज नहीं होनी चाहिए।
क्या होता है एल्क्ट्रोस्टेटिक स्मोक प्रेसिपिटेटर ?
वास्तव में, प्रौद्योगिकी ने एक सदी से अधिक की समस्या का बहुत अच्छा समाधान किया है, इलेक्ट्रोस्टैटिक धुआं प्रक्षेपकों के आकार में। सकरबबऱ के रूप में भी जाना जाता है, ये चालाक, स्थिर-इलेक्ट्रिक फिल्टर गंदी हवा से गंदे कण और राख को पकड़ते हैं। बहुत से प्रदूषण को कम करता है और पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद करता है।
कैसे करता है यह काम ?
एल्क्ट्रोस्टेटिक स्मोक प्रेसिपिटेटर में दो इलेक्ट्रोड (इलेक्ट्रिकल टर्मिनल) से गंदे फ्ल्यू गैस (धुंआ ) को गुजारा जाता है। यह इलेक्ट्रोड पाइप या स्मोक्स्टेक के अंदर धातु के तार, बार या प्लेटों का रूप में होते हैं। पहला इलेक्ट्रोड एक बहुत ही उच्च वोल्टेज से नकारात्मक यानि नेगेटिव चार्ज किया जाता है। चूंकि गंदे कणों को इससे गुजरा जाता है तो वे भी नकारात्मक चार्ज हो जाते हैं।
उच्च पाइप या इसके साथ आगे, अगर यह क्षैतिज पाइप है, तो एक उच्च इलेक्ट्रिक वोल्टेज के लिए आरोपित धातु प्लेटों वाला दूसरा सकारात्मक यानि पोजिटिव इलेक्ट्रोड है। चूंकि चार्ज को आकर्षित करने के विपरीत, नकारात्मक कण सकारात्मक चार्ज प्लेटों से आकर्षित होते हैं और वहां पर चिपकते हैं। समय-समय पर, कालिख को खाली करने के लिए इकट्ठा करने वाली प्लेटें हिलती रहती हैं; जो या तो मैन्युअल रूप से किया जा सकता है या स्वचालित रूप से धमाकेदार या ब्रशिंग तंत्र में एक प्रक्रिया जिसे रैपिंग कहा जाता है।
फोटो 4 कैप्शन : समाज सेवी कंवरजीत सिंह राय
बॉक्स 1 < क्या है एस.पी.एम. मीटर?
हवा में निलंबित कण पदार्थ सस्पेन्डेड पार्टिकुलेट मैटर (एस.पी.एम.) को आम तौर पर सभी हवाई ठोस और कम वाष्प माना जाता है। दबाव तरल कण परिवेशी वायु में निलंबित कण पदार्थ एक जटिल, बहु-चरण प्रणाली है। जिसमें एरोडायनामिक कण आकार के एक स्पेक्ट्रम से 0.01 माइक्रोन से 100 माइक्रोन और बड़ा हो सकता है। इसे एस.पी.एम. मीटर से नापा जाता है।
बॉक्स 2 < शहर में हवा प्रदूषण मापन नियमत लागू करे सरकार
सरकारी प्रदूषण नियंत्रण अधिकारिओं को सिर्फ फेक्टरियों के प्रदूषण तक ही सिमित नहीं रहना चाहिए। सभी शहरों के आम स्थानों पर भी समय समय हवा प्रदूषण को माप कर मिडिया के सामने पारदर्शी ढंग से आम जनता को नित्य पेश करना चाहिए। यह काम एक एस.पी.एम. मीटर से हो सकता है। इससे बढ़ते या घटते प्रदूषण की जानकारी मिलने पर उचित प्रबंध सोचने में मदद मिलेगी और लोगों में पर्यावरण जागरूकता बढ़ेगी। डाक्टरी बिल भी कम होंगे। स्वच्छता की और उचित कदम होगा।