पंजाब
मान सरकार गाँवों में पाईप के द्वारा पानी की आपूर्ति वाली योजनाओं के लिए राज्य के विभिन्न जिलों में लगाएगी सोलर पावर एनर्जी सिस्टम: जिम्पा
चंडीगढ़, 25 दिसंबर:
मुख्यमंत्री भगवंत मान के गतिशील नेतृत्व अधीन पंजाब सरकार ने गाँवों में पाईप के द्वारा पानी की आपूर्ति वाली योजनाओं के लिए राज्य के विभिन्न जिलों में सोलर पावर एनर्जी सिस्टम लगाने के लिए 60.50 करोड़ रुपए मंज़ूर किये हैं। इस प्रोजैक्ट के अंतर्गत 1508 गाँवों को कवर करते हुए राज्य के गाँवों में 970 जल आपूर्ति योजनाओं के लिए 8.698 मेगावाट की क्षमता वाले सोलर पावर एनर्जी प्लांट ( नेट मीटरिंग पर आधारित) लगाए जाएंगे।
जल आपूर्ति एवं स्वच्छता मंत्री ब्रम शंकर जिम्पा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार पंजाब के लोगों को बुनियादी सुविधाएं देने के लिए दिन-रात अथक प्रयास कर रही है। सरकार का उद्देश्य है कि लोगों को सुविधाएं प्राप्त करने के लिए किसी किस्म की मुश्किल का सामना न करना पड़े और सभी सुविधाएं लोगों को उनके द्वार पर बिना किसी परेशानी के मिलें।
सोलर प्रोजैक्ट संबंधी जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रोजैक्ट का उद्देश्य बिजली खर्चों के बोझ को घटाकर जल आपूर्ति योजनाओं की वित्तीय स्थिरता और ग्राम पंचायत जल आपूर्ति समितियों (जी.पी.डब्ल्यू.एस.सी.) द्वारा गाँवों में जल आपूर्ति योजनाओं के सफल संचालन और प्रबंधन को सुनिश्चित बनाना है। इसके अलावा यह साफ़ और स्वच्छ ऊर्जा का प्रयोग बढ़ाने के साथ-साथ वातावरण स्थिरता में भी सहायक होगा।
जिम्पा ने बताया कि जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग द्वारा सोलर रूफ टॉप पैनलों की स्थापना के साथ यह प्रोजैक्ट काफ़ी लाभप्रद साबित होगा, जैसे बिल में कटौती, क्योंकि बिजली के निर्यात और आयात के समायोजन के बाद पीएसपीसीएल द्वारा बिल जारी किया जाता है, वातावरण समर्थकीय स्वच्छ और साफ़ ऊर्जा का उत्पादन और डीडब्ल्यूएसएस/जीपीडब्ल्यूएससी अपनी बिजली ज़रूरतें ख़ुद पुरी करेगा।
प्रमुख सचिव जल आपूर्ति एवं स्वच्छता डी.के. तिवाड़ी ने आगे कहा कि बिजली के आयात और निर्यात के समायोजन के बाद ही बिल की रकम पर बिजली ड्यूटी/ चुंगी आदि लगाया जायेगा। अतिरिक्त बिजली पी.एस.पी.सी.एल. के ग्रिड को सप्लाई की जायेगी, जिससे बिजली की कमी को दूर करने में मदद मिलती है।
जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग के प्रमुख मोहम्मद इशफाक ने बताया कि सोलर पावर एनर्जी प्रोजैक्ट की स्थापना के बाद प्रति वर्ष तकरीबन 8 से 9 करोड़ रुपए की बचत होगी।