टैरस के एचआरटीसी डिपो में जुगाड़ की बजाय धरातल पर हो काम -कैप्टन संजय
कहा, छह महीने बाद कागजों की बजाय अब हकीकत पर नजर आनी चाहिए सुविधाएं
संसारपुर टैरस-
कैप्टन संजय ने कहा है कि संसारपुर टैरस में एचआरटीसी के डिपो को खुले हुए छह महीने से ज्यादा का ज्यादा समय बीत गया है, लेकिन अब भी सुविधाओं की दरकार बनी हुई है। ऐसे में अब इस डिपो में सुविधाएं कागजों की बजाय धरातल पर नजर आनी चाहिए। पराशर ने कहा कि अच्छा होता कि डिपो खोलने से पहले इसके बेहतर संचालन के लिए होमवर्क भी किया जाता ताकि आमजनमास को पहले दिन से ही इस डिपो का लाभ मिलना शुरू हो जाता।
संजय ने कहा कि संसारपुर टैरस प्रदेश का प्रवेश द्वार है और यहां आैद्योगिक क्षेत्र भी स्थित है। जाहिर सी बात है कि इस कस्बे में परिवहन निगम का डिपो खुलने से क्षेत्रवासियों को उम्मीद बंधी थी कि अब चंडीगढ़, दिल्ली, पठानकोट आैर जसवां-परागपुर क्षेत्र के विभिन्न गांवों को वासियों काे बेहतर ट्रांस्पोर्ट कनेक्टीविटी मिल जाएगी। कैप्टन पराशर ने कहा कि पिछले वर्ष दिसंबर के अंतिम सप्ताह में खुले इस डिपो में जो सुविधाएं जुटाने के प्रयास करने चाहिए थे, वो नाकाफी नजर आते हैं। पराशर ने कहा चिंतपूर्णी, डाडासीबा और नुरपुर की तरफ जो पुराने रूट थे, आज भी उन्हीं पर स्थानीय जनता निर्भर है। कहा कि अब भी यह डिपो पूरी तरह से एचआरटीसी, देहरा भी ही निर्भर है आैर बस में तकनीकी खराबी हो जाने के बाद ठीक करवाने के लिए देहरा की ही वर्कशॉप में ले जाना पड़ता है। डिपो के लिए शुरूआत में जो कर्मचारियों की नियुक्ति की बात कही गई थी, उस पर भी अमल नहीं हो पाया है। कहा कि संसारपुर टैरस से सुबह और शाम को भी बस रूटों की कमी है, जिस कारण जसवां-परागपुर क्षेत्र के विभिन्न गांवों को बाहर से आने वाले यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। संजय ने कहा कि संसारपुर टैरस में आधुनिक सुविधाओं से लेस वर्कशाप का निर्माण इस वक्त समय की मांग है और तंत्र को चाहिए इस डिपो के बेड़े में बसों की संख्या बढ़ाई जाए और प्रदेश और पंजाब के बड़े शहरों के लिए यहां से बस सेवा आरंभ की जाए। पराशर ने कहा कि जसवां-परागपुर क्षेत्र का भौगोलिक दायरा काफी विस्तृत है और इसी डिपो के माध्यम से उन प्रमुख क्षेत्रों को भी कवर किया जा सकता है, जहां फिलहाल रात्रि बस सेवा का कोई प्रावधान नहीं है। इसके साथ ही उन गांवों में भी इसी डिपो के जरिए बस रूट बढ़ाए जाएं, जहां पर परिवहन सुविधाओं का अभाव है। इसके लिए दूरदराज के गांवों में मुद्रिका बसों की संख्या को बढ़ाकर आम जनता को फायदा पहुंचाया जा सकता है। पराशर ने कहा कि संसारपुर टैरस में बस अड्डे और वर्कशॉप के साथ वाहन प्रशिक्षण केन्द्र भी खोला जा सकता है, जिससे कि युवा बड़े वाहन चलाना सीख सकते हैं। बावजूद विडंबना यह है कि समय बीतने के साथ सुविधाओं में इजाफा नहीं हो पा रहा है। संजय ने कहा कि संसारपुर टैरस के डिपो को सही तरीके से संचालित करने के लिए अब जुगाड़ की बजाय धरातल पर काम करने की आवश्यकता है। उम्मीद है कि परिवहन विभाग इस दिशा में जल्द ही सकारात्मक कदम उठाएगा।