*सुखबीर बादल ने चंडीगढ़ पर पंजाब विरोधी बयानों के लिए भगवंत मान, अमित शाह की निंदा की*
* चंडीगढ़ के मामले में केंद्र, हरियाणा और भगवंत मान के बयानों में साजिश*
भगवंत मान ने चंडीगढ़, दरिया के पानी पर न्याय के लिए पंजाबियों द्वारा किए गए अनगिनत बलिदानों का अपमान किया
कहा कि पूरा चंडीगढ़ पंजाब दर्जा का हैः केंद्र शासित प्रदेश को पंजाब में स्थानांतरण करने का मामला अस्थाई रूप से लंबित
केंद्र के पास पंजाब को छोड़कर किसी को भी एक इंच आवंटित करने का कोई अधिकार नही: सुखबीर सिंह बादल ने अमित शाह के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की
चंडीगढ़/09जुलाई: शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष और पंजाब के पूर्व डिप्टी मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने आज पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को चंडीगढ़ और राज्य के अन्य लोगों के साथ हुए अन्याय जिसमें राज्य के अविभाज्य अधिकार से गंभीर रूप से समझौता करने वाले चौंकाने वाले पंजाब विरोधी बयान जारी करने के लिए कड़ी निंदा की है।
भगवंत मान द्वारा पंजाब को अलग विधानसभा बनाने के लिए चंडीगढ़ में जगह की मांग का जिक्र करते हुए बादल ने कहा, ‘‘ मैं हैरान हूं कि कोई व्यक्ति जो खुद को पंजाब का मुख्यमंत्री कहता है , वह अपनी राजधानी चंडीगढ़ पर पंजाब के व्यापक रूप से स्वीकृति और अभेद अधिकार को छोड़ने वाला बयान जारी कर सकता है। पूरा शहर पंजाब का है और पंजाब के मुख्यमंत्री और पंजाब के मुख्यमंत्री विधानसभा के लिए हमारी जमीन पर थोड़ी जगह के लिए भीख मांग रहे हैं। पंजाब का एक मुख्यमंत्री हरियाणा को जमीन आवंटित करने पर हरियाणा की भाषा कैसे बोल सकता है? क्या भगवंत मान वास्तव में चंड़ीगढ़ और अन्य क्षेत्रों के लिए न्याय हासिल करने के लिए हमारे लोगों द्वारा संघर्ष और शहादत के अपने राज्य के इतिहास से इतना अनजान है, जहां सामान्य रूप से पंजाबियों और विशेष रूप से सिखों के साथ भेदभाव किया गया है? मुझे हैरानी है कि वह खुद को पंजाब का मुख्यमंत्री कहते हैं, पंजाब के चंडीगढ़ पर अपने राज्य के दावे पर घूटने टेकने के बाद वह खुद को पंजाब का मुख्यमंत्री कहते हैं, और सबसे अहम और भावनात्मक मुददों में से एक पर हमारे लोगों द्वारा भावनाओं और अनगिनत बलिदानों को भूल गए हैं।
बादल ने कहा कि ऐसा लगता है कि चंडीगढ़ सहित महत्वपूर्ण मुददों पर पंजाब के जायज हकों और चंडीगढ़ समेत अहम मुददों पर दावों को छीनने के लिए गहरी साजिश रची जा रही है और पंजाब के मुख्यमंत्री इस षडयंत्र में एक इच्छुक हथिार बन गए हैं। यह कैसा संयोग है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर और पंजाब के मुख्यमंत्री एक ही समय में चंडीगढ़ पर अपना बयान जारी कर रहे हैं? क्या पंजाबियों को इन बयानों में पंजाब के खिलाफ साजिश होते देखने के लिए दोषी ठहराएंगें?
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इस बयान की निंदा करते हुए कि केंद्र हरियाणा को अपनी विधानसभा परिसर बनाने के लिए चंडीगढ़ में अलग से जमीन आवंटित करेगा, बादल ने कहा , ‘‘ केंद्र को एक इंच भी आवंटित करने का कोई अधिकार नही है, क्योंकि चंडीगढ़ शहर पूरी तरह से , विशेष रूप से पंजाब का अविभाज्य रूप था और केंद्र शासित प्रदेश पंजाब का दर्जा होने का अस्थाई रूप से स्थानांतरण लंबित है।
अकाली नेता ने कहा, ‘‘ चंडीगढ़ से हरियाणा को कुछ भी आवंटित करने पर बयान देने के बजाय, केंद्र को चंडीगढ़ को पंजाब में स्थानांतरित करने की अपनी पवित्र और लिखित प्रतिबद्धता को तत्काल लागू करना चाहिए’’।
उन्होने आगे कहा कि भारत सरकार को यह महसूस करना चाहिए कि शहर में इसकी स्थिति एक अस्थायी देखभाल करने वाले में से एक हैं जब तक कि वास्तवित और उचित मालिक , पंजाब अपनी संपति का वास्तविक कब्हजा नही ले लेता है। केंद्र को चंडीगढ़ की एक सेंटीमीटर जमीन भी हरियाणा को सौंपने का कोई नैतिक यां संवैधानिक अधिकार नही है, क्योंकि जमीन केंद्र की एक मालिक के रूप में नही, बल्कि कार्यवाहक के रूप में हैं। बादल ने भारत सरकार को अनावश्यक विवादों को भड़काने के खिलाफ चेतावनी दी। इसके बजाय, गृहमंत्री से पंजाबियों और विशेष रूप से सिखों के साथ किए गए गंभीर अन्याय के अन्य मामलों को सुनिश्चित करने का अनुरोध करता हूं।
बादल ने कहा कि चंडीगढ़ को पंजाब स्थानांतरित करना कभी विवाद का विषय नही रहा है। यहां तक कि 1966 मे ंतत्कालीन केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि चंडीगढ़ की स्थिति पर कोई विवाद नही है, क्योंकि यह पंजाब से संबधित है और इसे पंजाब में स्थानांतरित कर दिया जाएगा’’।
अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि चंडीगढ़ का पंजाब मंे स्थानांतरण ‘‘ लिखित रूप में एक पवित्र प्रतिबद्धता है। इस प्रतिबद्धता पर न केवल देश के क्रमिक प्रधानमंत्रियों के हस्ताक्षर होते हैं, बल्कि राजीव गंाधी द्वारा 24 जुलाई 1985 को देश के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी आधिकारिक क्षमता में एक कानूनी और संवैधानिक प्रतिबद्धता पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके अलावा इस प्रतिबद्धता का संसद के दोनो सदनों द्वारा समर्थन किया गया था, जिसने पंजाब पर समझौता ज्ञापन के रूप में ज्ञात मसौदे को मंजूरी दी , जिसे लोकप्रिय रूप से पंजाब समझौते के रूप में जाना जाता है। केंद्र इस पवित्र , संवैधानिक , कार्यपालिका और संसदीय प्रतिबद्धता से पीछे नही हट सकता । तत्कालीन अकाली दल अध्यक्ष और शांति और साम्प्रदायिक सदभाव के प्रतीक संत हरचंद सिंह लौंगोंवाल ने इस पवित्र कारण के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया । केदं्र को शहीद के खून से हस्ताक्षरित पंजाब के लोगों के प्रति की गई प्रतिबद्धता का अनादर नही करना चाहिए।
बादल ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब का है , इस प्रतिबद्धता को बाद में हरियाणा के लोगों ने हरियाणा विधानसभा में अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से स्वीकार और समर्थन किया । उन्होने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह को चंडीगढ़ को पंजाब स्थानांतरित करने पर केंद्र के साथ साथ हरियाणा की लिखित प्रतिबद्धता के विवरण के बारे में पूरी जानकारी नही हो सकती है। ‘‘ वास्तव में स्थानांतरिण 26 जनवरी 1986 को होना था। यह पंजाब के साथ एक पूर्ण और सरेआम अन्याय है क्योंकि यह प्रतिबद्धता पूरी होने का इंतजार कर रहा है। मैं अमित शाह से इस अन्याय को दूर करने और बिना किसी देरी के चंडीगढ़ को पंजाब में स्थानांतरित करने का अनुरोध करता हूं।