पंजाब

एनसीआरटी की भाषा नीति के खि़लाफ़ केंद्रीय मंत्री दें दख़लः पंजाबी कल्चरल कौंसिल ने लिखी चिट्ठी

पंजाबी समेत क्षेत्रीय भाषाओं का अस्तित्व बचाने के लिए राष्ट्रीय भाषा नीति बनाई जायेः गरेवाल
चंडीगढ़ 23 अक्तूबर ()
पंजाबी कल्चरल कौंसिल ने एनसीआरटी द्वारा पंजाबी समेत अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को माइनर (छोटी) भाषाओं में शामिल करने की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि इस केंद्रीय बोर्ड ने सत्ता की सोच के मुताबिक हिंदी भाषा को अगुआ रखते हुए हिंदी भाषा को मुख्य विषय और हिंदी (चुनिंदा विषय) के तौर पर परीक्षा के प्रमुख विषयों में शामिल करते हुए क्षेत्रीय भाषाओं को नीचा दिखाकर करोड़ों लोगों की भावनाओं के साथ बड़ा खीलवाड़ किया है।
इस संबंधी देश के राष्ट्रपति और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को लिखी चिट्ठी में पंजाबी कल्चरल कौंसिल के चेयरमैन हरजीत सिंह गरेवाल स्टेट अवार्डी ने दोष लगाया है कि केंद्रीय परीक्षा बोर्ड का यह कदम एकतरफ़ा और नादरशाही फ़ैसला है जो केंद्रीय आकाओं की क्षेत्रीय भाषाओं के प्रति तानाशाही सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं की कीमत पर हिंदी को प्राथमिकता देना और क्षेत्रीय भाषाओं को दूसरे दर्जे पर रखना संवैधानिक और संघीय ढांचे की भावना के खि़लाफ़ है। उन्होंने पत्र में केंद्रीय मंत्री को अवगत करवाया कि सीबीएसई और आईसीएसई वाले हर तरह के निजी स्कूलों में पहले ही पंजाबी बोलने पर बच्चों को जुर्माने करके उनको मातृ भाषा बोलने से रोका जाता है परन्तु ताज़ा लागू की गई नीति स्वरूप भविष्य में स्कूलों में बच्चों में पंजाबी भाषा पढ़ने के प्रति रुचि बेहद घट जायेगी।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री को इस मुद्दे पर निजी दख़ल देकर फ़ैसला वापस लेने की माँग करते हुए कहा कि शिक्षा के पक्ष से देश को अगुआ राष्ट्र बनाने के लिए हर राज्य की मातृ भाषा को मध्यमिक और दसवीं तक मुख्य विषय के तौर पर पढ़ाया जाये और क्षेत्रीय भाषाओं का अस्तित्व बचाने के लिए क्षेत्रीय भाषा वैज्ञानियों की मदद से राष्ट्रीय भाषा नीति तैयार की जाये।
उन्होंने चिट्ठी में केंद्रीय मंत्री से माँग की है कि सीबीएसई आईसीएसई आधारित स्कूलों में क्षेत्रीय भाषाओं के विषयों को प्रमुखता देने और एनसीआरटी के सिलेबस में आवश्यक संशोधन करने के लिए तुरंत राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की आपात बैठक बुलाकर इस भाषा संबंधी मसले का स्थायी हल ढूँढा जाये।

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