1 करोड़ 89 लाख के साइबर फ्रॉड मामले में साइबर सेल ने दो आरोपी गिरफ्तार किए, ठगी के रुपयों से खरीदे लाखों के सोने के आभूषण व महिन्द्रा थार
-आरोपियों से थार, सोने के आभूषण, चार मोबाइल फोन व 5 लाख कैश बरामद
चंडीगढ़, 20 मार्च: लगभग दो करोड़ रुपयों के साइबर फ्रॉड मामले में साइबर क्राइम इंवेस्टीगेशन सेल (सीसीआईसी) की टीम ने दो शातिर ठगों को दिल्ली, असंध, करनाल में छापेमारी के दौरान गिरफ्तार कर लिया है। पकड़े गए आरोपियों की पहचान असंध, करनाल की आदर्श कालोनी निवासी अमरजीत सिंह (31) व हिसार के गांव सिसई निवासी कुलदीप पन्नू (30) के रूप में हुई है। पुलिस ने आरोपियों का कोर्ट से पुलिस रिमांड हासिल किया है , जिन्हें अब मंगलवार को दोबारा कोर्ट में पेश किया जाएगा। दोनों आरोपियों ने ठगी की रकम से सोने के आभूषण व थार जीप खरीदी थी। फिलहाल पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है।
पुलिस के मुताबिक सैक्टर-22-सी स्थित फैडरल बैंक के ब्रांच मैनेजर अर्पण शर्मा ने शिकायत दी थी कि वह जब ड्राइव कर रहे थे, तो उन्हें एक अज्ञात नंबर से फोन आया। जिसने खुद को उनका ग्राहक रजेश मक्कड़ बताया और उसने कहा कि उन्हें जल्द से जल्द पेयमेंट चाहिए। अर्पण ने आगे वह मोबाइल नंबर जांचने के लिए बैंक कर्मी आदित्य वर्मा को दिया। आदित्य ने व्हाट्स एप पर डीपी चैक की तो राजेश मक्कड़ की ही थी। फिर उस शख्स ने आदित्य को व्हाट्स एप कर बैंक खातों की डिटेल्स सैंड की, जिसमें फंड्स टांसफर करने थे। आदित्य ने उसके द्वारा दिए खातों में कुल 1 करोड़ 89 लाख 2 हजार रुपए ट्रांसफर कर दिए। रकम लेने के बाद उस शख्स ने फिर से और फंड की डिमांड की तो आदित्य ने राजेश मक्कड़ के बैंक खातें में दिए हुए उनके नंबर पर फोन किया। फोन करते हुी उनके पैरों तले जमीन खिसक गई क्योंकि राजेश मक्कड़ ने कहा कि न तो उन्होंने खुद किसी को फोन किया और न ही किसी को बैंक से फंड्स लेने के लिए कहा। जिसके बाद पुलिस को शिकायत दी गई। शिकायत के आधार पर साइबर सेल पुलिस स्टेशन में अज्ञात के खिलाफ 5 मार्च को विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया।
कैसे आए गिरफ्त में दोनों आरोपी
केस दर्ज करने के बाद एसपी केतन बंसल व एसपी मृदुल के सुपरविजन में साइबर सेल ने एक टीम गठित की, जिसमें साइबर सेल के इंचार्ज इंस्पैक्टर रंजीत सिंह, सब इंस्पैक्टर के.डी सिंह, हैड कांस्टेबल बहादुर लाल, हैड कांस्टेबल बलविन्द्र सिंह व कांस्टेबल बलजीत सिंह को शामिल किया गया। पुलिस टीम ने उस शख्स के मोबाइल नंबर की टॉवर लोकेशन खंगाली तो पता चला वह नंबर दिल्ली एनसीआर में चल रहा है। इसके बाद पुलिस ने फैडरल बैंक से जानकारी हासिल की, जहां से पता चला कि आरोपियों ने 9 लाख 57 हजार रुपए इंडसइंड बैंक व 9 लाख 35 हजार रुपए कैनरा बैंक में ट्रांसफर करवाए थे। इसके अलावा पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों ने ठगी के रूपयों से गोल्ड भी खरीदा और कुछ रकम आरोपियों ने दिल्ली एनसीआर एरिया में एक एटीएम से भी निकलवाए। यह भी सामने आया कि मोबाइल सिम नंबर, मनीष कुमार, राजाराम मीणा, सोनू कुमार व अजरुन सिंह के नाम पर है, जो सभी नंबर दिल्ली एनसीआर, करनाल व असंध में चल रहे हैं। सारी जानकारी हासिल करने के बाद पुलिस ने 16 मार्च को छापेमारी के दौरान आरोपी अमरजीत व कुलदीप को गिरफ्तार कर लिया गया।
पकड़े गए दोनों आरोपी गैंक के मास्टरमाइंड
पुलिस के मुताबिक पकड़े गए दोनों आरोपी गैंग के मास्टरमाइंड हैं। यह दोनों बाकी के आरोपियों के दस्तावेज इस्तेमाल कर बैंक खाते खुलवाते थे और उनके ही नाम पर सिम कार्ड लेते था ताकि यह दोनों पकड़ में न आ सकें। यह दोनों आरोपी राजस्थान व सहारनपुर में साइबर लोन फ्रॉड केस में भी शामिल थे। एक केस में पीड़ित ने लोन व इन लोगों से परेशान होकर आत्महत्या तक कर ली थी। अगस्त-2022 में दोनों आरोपी जमानत पर रिहा हुए थे और फिर इन्होंने पंकज, अंकुर जिंदल, रवि व अन्य के साथ मिलकर एक गैंग बना डाला। इसके बाद उन्होंने पूरे भारत में फैडरल बैंक, आईसीआईसी बैंक, एचडीएफसी बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यैस बैंक व एक्सिस बैंक में कुल 2 करोड़ की ठगी की।
गूगल से वाहन की एजेंसियों से डाटा निकालकर ठगते थे
पुलिस पूछताछ में सामने आया कि दोनों आरोपी गूगल से वाहन की एजेंसियों में जाकर उनके सेल्स मैनेजेर व मैनेजिंग डायरेक्टर से संपर्क कर उनके बैंक खातों की डिटेल हासिल करते थे। इसके बाद वह चैक से छेड़छा़ड कर उन्हें चैक भेजकर एमरजेंसी का बहाना बनाकर व्हाट्स एप पर अपने खाते नंबर भेजकर उनसे रुपए ट्रांसफर करवा लेते थे। आरोपियों से पुलिस ने एक महिन्द्रा थार, चार सोने की अंगुठियां, दो सेाने की चेन, दो सोने के सिक्के व पांच लाख कैश बरामद किया है।